कांग्रेस ने आगे की रणनीति तय करने के लिए उदयपुर में तीन दिनों का चिंतन शिविर आयोजित किया था। इसमें देशभर के कांग्रेस के बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया। यहां चर्चा के लिए 6 ग्रुप बनाए गए थे। सभी के प्रस्तावों पर मंथन के बाद कांग्रेस वर्किंग कमिटी ने उनपर मोहर लगाई है। इस बैठक में यूपीए सरकार की उपलब्धियों का भी जिक्र किया गया। चिंतन शिविर के बाद जारी बयान में कहा गया है कि मौजूदा मोदी सरकार पिछड़ी जातियों को नजरअंदाज कर रही है। कांग्रेस ने पहली बार जातिगत जनगणना (Caste Census) की वकालत की है। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस अब ओबीसी कार्ड पर पूरा ध्यान देकर संघर्ष के मूड में है।

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Caste Census – कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा गया, यूपीए सरकार के समय जाति को लेकर जो जनगणना कराई गई थी, मौजूदा सरकार उसे सार्वजनिक करने को तैयार नहीं है। इसके पीछे सीधा उद्देश्य यह है कि वह पिछड़ी जातियों को उनके अधिकारों से वंचित रखना चाहती है। अब कांग्रेस कास्ट सेंसस के डेटा को सार्वजनिक कराने के लिए संघर्ष करेगी और पिछड़ों को उनके अधिकार दिलवाएगी।

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कांग्रेस पार्टी ने रणनीति तय करने के साथ ही पार्टी के अंदर भी बड़े बदलाव करने का ‘संकल्प’ लिया है। इसी के तहत शिविर में प्रस्ताव पास किया गया है कि पार्टी में 50 फीसदी पदों पर 50 साल से कम उम्र के लोग बैठेंगे। इसके अलावा इस बात पर भी चर्चा की गई कि विधायक, सांसद और एमएलसी की एक रिटायरमेंट एज भी होनी चाहिए। इसके अलावा 50 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों का अनुभव पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। यानी उन्हें मार्गदर्शक मंडल में स्थान दिया जाएगा। पार्टी ने फैसला किया है कि ये सभी प्रस्ताव 2024 के लोकसभा चुनाव से लागू किए जाएंगे। इसके बाद 50 फीसदी टिकट 50 साल से कम उम्र वाले नेताओं को दिए जाएंगे।

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