इंदौर : न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के एनएसआईकॉन 2025 के चौथे दिन राष्ट्रीय सेमिनार में रिटायर्ड जनरल वेद प्रकाश मलिक पहुंचे, जहां उन्होंने कारगिल युद्ध से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक (technology will decide direction) भारतीय युद्ध तकनीकी और सेना के जज्बे का जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने भारतीय सैन्य क्षमता और तकनीकी रूप से विकसित होती देश की सामरिक स्थिति पर भी चर्चा की.

जवान का जज्बा और जुनून विजयी बनाता है

जनरल वी पी मलिक ने सैनिकों के साहस और जीतने के जज्बे के बारे में बात करते हुए कहा कि “कारगिल युद्ध में जवानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन देश के जवान चुनौतियों के सामने घुटने नहीं टेके. चाहे उसके पास लड़ने के लिए कोई संसाधन मौजूद ना हो, लेकिन जवानों के जीतने का जज्बा और जुनून ही उसे मैदान में विजयी बनाता है. इसी जज्बे से हम कारगिल युद्ध जीते.”

कारगिल युद्ध में हथियार और तकनीक विदेशों से मांगनी पड़ी

जनरल मलिक ने आगे कहा कि “कारगिल के दौर में हमें कई महत्वपूर्ण हथियार और तकनीक विदेशों से मंगानी पड़ती थी, जबकि आज भारत रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय आत्मनिर्भरता हासिल कर चुका है. कारगिल युद्ध के ऑपरेशन विजय के दौरान हजारों घायल सैनिकों को भर्ती किया गया था, जिनमें से केवल 10-15 की मृत्यु हुई थी. यह आंकड़ा (technology will decide direction) सैन्य चिकित्सा की दक्षता और समर्पण का परिचायक है. ऑपरेशन सिंदूर में भी उसी जज्बे से हम लड़े, लेकिन इस बार सबसे ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने से हमें विजय मिली, क्योंकि समय के साथ हमें अपने जीवन में नई-नई टेक्नोलॉजी को अपनाना भी जरूरी है.”

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