Freedom Fighters Of India: British officer was beaten for beating innocents in Hisar, Netram got punishment

स्वतंत्रता सेनानी नेतराम
– फोटो : अमर उजाला


हिसार के जाखोद खेड़ा में वर्ष 1917 में जन्मे स्वतंत्रता सेनानी नेतराम सावंत देश की धरोहर हैं। इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। नेतराम सावंत सन 1932 में लाला हरदेवसहाय की प्रेरणा से कांग्रेस संगठन में शामिल होकर स्वाधीनता संग्राम में कूदे। सन 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में आपको सत्याग्रह करने पर भारत रक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गा और 9 माह के कठोर दंड की सजा मिली।

अफसर की पिटाई कर डाली

17 दिसम्बर, 1941 को जेल से रिहा होने पर वे भारत को आजादी दिलाने में जुट गए। उस समय एक घटना घटी कि एक अंग्रेज अधिकारी हिसार में निर्दोष लोगों को पीट रहा था। नेतराम से यह सहन नहीं हुआ और उन्होंने उस अफसर की पिटाई कर डाली। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उनके खिलाफ वारंट जारी कर उन्हें देखते ही गोली मारने का आदेश दिया। ब्रिटिश सरकार उनके परिवार वालों को परेशान करने लगी। इसके बाद उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें तिहाड़ जेल ले जाया गया। संसद भवन के सामने अंग्रेज लॉर्ड इरविन की मूर्ति तोड़ने का श्रेय भी उन्हें दिया गया। नेतराम 1962 से 1967 तक हिसार सदर से विधायक रहे। 

गांव में फैल रहा नशा, जल निकासी की समस्या

स्वतंत्रता सेनानी नेतराम के पोते कृष्ण सावंत ने बताया कि गांव में नशा बहुत तेजी से फैल रहा है। गांव में नशे पर लगाम लगाई जानी चाहिए अन्यथा आने वाले समय में घर घर नशेड़ी युवा हो जाएगी और इन युवाओं का भविष्य अंधकार में चला जायेगा। गांव की मुख्य समस्या जल निकासी भी है। गंदे पानी की निकासी के लिए उचित प्रबंध होने चाहिए।

38 साल से सेनानियों के परिजन सम्मान को तरसे

स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत को भुलाया जा रहा है। वर्ष 1985 के बाद उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला। 15 अगस्त 1972 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वतंत्रता के 25वें वर्ष में उन्हें ताम्रपत्र प्रदान करके सम्मानित भी किया। इसके बाद 1985 में हरियाणा सरकार द्वारा ताम्रपत्र दिया गया।

गांव में नहीं है कोई यादगार स्मृति

स्वतंत्रता सेनानी नेतराम की याद में गांव में कोई भी स्मृति नहीं है। परिजनों ने काफी बार मांग भी उठाई है लेकिन उन्हें अनसुना कर दिया जाता है। परिजन सुनील सावंत ने मांग की है कि गांव में प्रवेश द्वार, पुस्तकालय, स्कूल या कोई पार्क मौजूदा सरकार को उनकी याद में बनवाना चाहिए।

सरपंच के अनुसार

स्वतंत्रता सेनानियों के सहयोग को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इनकी यादगार और सहयोग हमेशा याद किया जाएगा। गांव की जल निकासी समस्या के लिए प्रयासरत है। – संतोष देवी, सरपंच, जाखोद खेड़ा हिसार।

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