दिल्ली में लाल किले के सामने हुए कार धमाके किताब सीधे तौर पर अलफलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं. अब अलफलाह यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी से जुड़ा हुआ एक बड़ा खुलासा ED ने किया है जिसमें सामने आया है. दिल्ली के मदनपुर खादर में मरे हुए हिंदुओं की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के (big revelation of land grabbing) आधार पर जावेद अहमद सिद्दीकी की संस्था को बेचा गया.

ED की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि मरे हुए हिन्दू लोगों के नाम पर बनाई गई फर्जी GPA, और Al-Falah से जुड़े फाउंडेशन ने जमीन खरीदी. जांच एजेंसी ने पाया है कि मदनपुर खदर इलाके की खसरा नंबर 792 वाली ज़मीन को फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए बेचा दिखाया गया और आखिर में यह ज़मीन तर्बिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम हो गई. यह फाउंडेशन अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी से जुड़ा हुआ है.

ED के मुताबिक, इस ज़मीन को बेचने के लिए जो जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) इस्तेमाल की गई, वह पूरी तरह फर्जी थी. जांच में सामने आया कि GPA में जिन लोगों के दस्तखत या अंगूठे लगे दिखाए गए हैं, उनमें से कई लोग 1972 से 1998 के बीच ही मर चुके थे. इसके बावजूद GPA पर तारीख 7 जनवरी 2004 लिखी गई है और दिखाया गया है कि मृतक व्यक्तियों ने यह दस्तावेज़ खुद तैयार किया.

big revelation of land grabbing – इन सभी को GPA में ऐसे दिखाया गया जैसे वे जीवित हों और उन्होंने 2004 में जमीन बेचने की अनुमति दी हो. फर्जी GPA को विनोद कुमार के नाम पर बनाया गया. जांच में पता चला कि इसी GPA के आधार पर विनोद कुमार ने आगे ज़मीन बेच दी. जिनके नाम पर ज़मीन थी, उनमें मृतक व्यक्ति भी शामिल थे, लेकिन दस्तावेज़ों में उन्हें को ओनर बताकर उनकी हिस्सेदारी भी बेच दी गई. फर्जी GPA के नौ साल बाद, 27 जून 2013 को एक रजिस्टर्ड सेल डीड तैयार की गई.

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