इस वक्त पूरी दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभावों का सामना कर रही है। और इस परिवर्तन का सीधा असर हिमालय के ग्लेशियरों पर भी दिख रहा है। ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। जिससे न केवल भविष्य में पानी का संकट बढ़ सकता है। बल्कि पिघलते ग्लेशियरों से बनने वाली झीलें भी बड़े खतरे का संकेत दे रही हैं।

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ग्लेशियर पिघलने से बन रहीं है झीलें

उत्तराखंड के ग्लेशियरों के पिघलने से कई नई झीलें बन रही हैं, जिनमें से कुछ की वैज्ञानिक लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर ये झीलें कभी फटीं, तो इनके रास्ते में आने वाले गांव और परियोजनाएं तबाह हो सकती हैं, और कई लोगों की जान भी जा सकती है। खतलिंग ग्लेशियर के तेजी से पिघलने की वजह से भिलंगना झील का आकार बढ़ रहा है।

पिछले 47 सालों में भिलंगना झील का क्षेत्रफल 0.38 स्क्वायर किलोमीटर बढ़ा है। वहीं वसुधरा झील की मॉनिटरिंग के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम भेजी जाएगी। अगर झील से खतरा महसूस हुआ तो धीरे-धीरे पानी निकालने का काम किया जाएगा। ताकि किसी बड़े हादसे से बचा जा सके।

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