उत्तराखंड (Uttarakhand) विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की हार के पीछे कई वजह थी। अगर देखें तो मुख्य कारण आपसी मतभेद और गुटबाजी ने कांग्रेस की नैया डुबो दी। उसके आलावा सांगठनिक रूप से कमजोर ढांचा, आधी अधूरी चुनावी तैयारियां, राष्ट्रीय नेताओं का चुनाव प्रचार में रुचि न लेना और राज्य के नेताओं के आपसी मतभेद कांग्रेस के हारने के अहम कारण रहे।
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Uttarakhand – हैरानी की बात यह है कि जिस गुटबाजी ने कांग्रेस की नैया डुबा दी, कांग्रेस अब भी उससे बाज नहीं आ रही है। चुनाव नतीजे आने के बाद से पूर्व सीएम हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समर्थकों ने सोशल मीडिया पर तलवारें भांजना शुरू कर दिया है। प्रदेश सचिव महेश जोशी ने तो प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से इस्तीफा देने की मांग कर डाली है।
कांग्रेस के चुनावी वादों परलोगो को विश्वास भी नहीं हो पाया। चुनाव में पीएम मोदी के मैजिक के आगे न कांग्रेस का चार धाम-चार काम अभियान कहीं टिक नहीं पाया। न तो लोगों को सस्ते सिलेंडर और पांच साल में चार लाख लोगों को रोजगार का वादा ही लुभा पाया।
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कांग्रेस कई सीटों पर जिताऊ प्रत्याशी चुनने में नाकाम रही। यमुनोत्री में कड़े विरोध के बावजूद संजय डोभाल की जगह दीपक बिजल्वाण को टिकट दिया गया। जबकि संजय निर्दलीय के रूप में जीतने में कामयाब रहे। पुरोला में चंद दिन पहले आए मजबूत कैंडीडेट दुर्गेश्वर लाल की जगह मालचंद को टिकट दिया गया।दुर्गेश्वर तत्काल भाजपा में चले गए और जीत गए। कांग्रेस नेताओं के रवैये के कारण पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्य भी अंतिम क्षणों में भाजपा में चले गए। दोनों नेता भी भाजपा के टिकट पर जीते।