GRAP will be applicable from October 1, will be able to run generator of more than 800 kilowatts for two hours

लघु सचिवालय में अधिकरियों व उद्योगपतियों के साथ बैठक करते उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार।


दिल्ली एनसीआर में एक अक्तूबर से ग्रेडिड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) शुरू होगा। इसको लेकर औद्योगिक इकाइयों में इस्तेमाल होने वाले डीजल जनरेटरों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी गई है। ताकि पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सके। इस मुद्दे को लेकर सोनीपत उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार ने जिले के औद्योगिक प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधियों के साथ शुक्रवार को बैठक की। इसमें तय किया गया कि डीजी सेट का इस्तेमाल ग्रैप के नियमों के अनुसार ही किया जाएगा।

दिल्ली एनसीआर में पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने के लिए 1 अक्तूबर से ग्रैप शुरू हो रहा है। इसके तहत औद्योगिक इकाइयों में इस्तेमाल किए जाने वाले डीजल जनरेटर सेट में 30 सितंबर तक सीएक्यूएम लगवाना अनिवार्य रहेगा। औद्योगिक इकाइयों व बड़े संस्थानों में डीजल जनरेटर के इस्तेमाल को लेकर दिए गए नियमों का पालना करने की हिदायत दी गई है।

ग्रैप टाइमिंग में नियमों का अनुपालन का विशेष ध्यान रखे जाने के निर्देश दिए गए हैं। नियमों की अवहेलना होने पर कार्रवाई का प्रावधान है। बैठक में नगराधीश डाॅ. अनमोल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप सिंह, एसडीओ रविंद्र सिंह, मंजीत दहिया, डाॅ. गीता दहिया, उद्योगपति श्रीभगवान गुप्ता, सुभाष गुप्ता, राकेश देवगन व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

निर्बाध बिजली मिले तो जनरेटर की जरूरत ही न पड़े

उद्योगपतियों ने उपायुक्त को कहा कि अगर उद्योगों को पर्याप्त बिजली मिले तो उन्हें जनरेटर चलाने की जरूरत ही न पड़े। जनरेटर मजबूरी में चलाते हैं। उद्योगपतियों ने उद्योगों के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति व अघोषित कट न लगवाने की मांग रखी। उपायुक्त ने इस मामले में बिजली निगम के अधिकारियों के साथ अलग से बैठक करने की बात कही। उन्होंने कहा कि गैस आपूर्ति के लिए भी वे संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।

इस प्रकार रहेंगे नए नियम

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप सिंह ने बताया कि औद्योगिक इकाइयों में एलपीजी, नेचुरल गैस व विभिन्न प्रकार की गैस के प्रयोग को लेकर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं है और न ही कोई प्रतिबंध है। 19 किलोवाट तक के डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इनका इस्तेमाल पूरे वर्ष किया जा सकता है। 19 से 125 किलोवाट तक के डीजल सेट को ड्यूल फ्यूल मोड पर करवाना जरूरी है। जिसमें 70 फीसदी गैस व 30 फीसदी डीजल का इस्तेमाल होगा।

ग्रैप के समय ऐसे डीजल सेट को दो घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकेगा। 800 किलोवाट के डीजल सेट औद्योगिक इकाइयों में ही प्रयोग किए जाते हैं। जिनमें कमिशन फोर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग अथॉरिटी (सीएक्यूएम) सिस्टम लगवाना आवश्यक है। ऐसा करने पर संबंधित उद्योग को नियमों में छूट मिल जाएगी। उन्होंने बताया कि 800 किलोवाट से ऊपर के डीजल सेट को ग्रैप टाइमिंग में दो घंटे ही चलाने की अनुमति मिलेगी। इसके लिए सीएक्यूएम व रेट्रो फिटिंग सिस्टम लगवाना आवश्यक रहेगा।

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