Pitbull kept scratching old woman leg for seven minutes in hisar, creating foot long wound

नागरिक अस्पताल में उपचाराधीन बलवीर कौर
– फोटो : अमर उजाला


मैं दोपहर बाद 3 बजे गांव ढंढूर में राशन डिपो से आटा लेने जा रही थी। हाथ में थैला था। चौहारो के पास पहुंची तो पीछे से एक व्यक्ति ने आवाज लगाई कि कुत्ता आ रहा है, कुत्ता आ रहा है, लेकिन कुछ समझ पाती पीछे से पिटबुल ने पिंडी पकड़ ली। दर्द से चीखें निकलने लगी। कुत्ते ने जमीन पर गिरा ली और पैर को दांतों से नोचते हुए खींचता रहा।

बुजुर्ग महिला बोलीं-कुत्ते के जबाड़े में फंसे थे मांस के टुकड़े

मैं बचाव में दूसरे पैर से उसे मारती रही, लेकिन वह मजबूती से दांत गड़ाता रहा। शोर सुनकर दो युवक गोदाम से बाहर आए। एक युवक ने कुत्ते का पटा पकड़ा और छुड़वाने का प्रयास लेकिन कुत्तेे ने नहीं छोड़ा। मेरी हिम्मत भी टूटने लगी थी। दोनों युवकों के प्रयास से करीब 7 मिनट के बाद कुत्ते ने पांव छोड़ा। कुत्ते का मुंह खून से भरा था और जबड़े में मेरे पैर के मांस के टुकड़े फंसे थे। यह नजारा देखकर चक्कर आ गए। आधा घंटा वहीं लेटी रही। इसके बाद एक युवक ऑटो लेकर आया और घर छोड़कर चला गया। बाद में परिजन उपचार के लिए नागरिक अस्पताल लेकर आए। (जैसा की घायल तेजा मार्केट निवासी बलवीर कौर ने संवाद संवाददाता को बताया)

रेबीज के टीके उपलब्ध लेकिन सिरम नहीं

नागरिक अस्पताल में कुत्ते के काटने के बाद रेबीज का टीका लगाया जाता है, लेकिन पिटबुल और दूसरी खतरनाक नस्ल के कुत्तों के काटने पर रेबीज के साथ-साथ सिरम टीका भी लगाया जाता है लेकिन यह टीका अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, ऐसे में परिजनों को बाहर से टीका लाना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जून माह में 144 पुरुषों और 54 महिलाओं को कुत्तों ने काटा है। इसके अलावा बंदर के 12, बिल्ली के 10 और सांप काटने के 5 केस सामने आए हैं।

41 देशों में बैन है कुत्ते की पिटबुल नस्ल

पिटबुल एक क्रॉस ब्रीड डॉग है, जिसकी वजह से उसका टेंपरामेंट यानी स्वभाव खराब हो जाता है। इसे गुस्सा बहुत आता है। यह बेहद जिद्दी होता है। इसी वजह से कई बार जान के लिए भी खतरा बन जाता है। इसकी आक्रामकता को रोकने के लिए प्रशिक्षण की जरूरत होती है। करीब 41 देशों में पिटबुल डॉग्स पर बैन है। वर्ष 2019 में चंडीगढ़ नगर निगम की मीटिंग में रोटवेईलर और पिटबुल जैसे पालतू कुत्तों की ब्रीड पर प्रतिबंध लगाने के लिए बहस तक हुई थी। इस पर नेशनल डॉग कॉन्फ्रेंस में भी चर्चा की गई थी।

भारत में पिटबुल को पालने पर अभी कोई रोक नहीं

पिटबुल को जंगली प्रजाति माना जाता है। यह काफी हिंसक प्रजाति होने के कारण कई देशों में इसको रखना प्रतिबंधित है। यह हमलावर प्रवृति का होने के कारण इसे गुस्सा जल्द आता है। हमले के समय यह अपने मालिक को भी नहीं छोड़ता है। पिटबुल कई मामलों में जान भी लेते हैं। भारत में पिटबुल को पालने पर अभी कोई रोक नहीं है। -डॉ. आरएस खासा,पशु चिकित्सक , हिसार

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