
आदिपुरुष
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हाल ही में रिलीज हुई फिल्म आदिपुरुष के प्रदर्शन पर पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में रोक लगाने की मांग करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें से एक याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस अनिल खेत्रपाल की अवकाशकालीन पीठ ने फिलहाल कोई निर्देश न देते हुए सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते तक स्थगित कर दी।
पटियाला के महंत रविकांत और लुधियाना के अश्विनी कुमार ने दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कर हाईकोर्ट से कहा है कि विश्व में करीब 300 प्रकार की रामायण हैं। भारत में वाल्मीकि व तुलसीदास रामायण को माना जाता है। इन पर कई फिल्में व टीवी धारावाहिक भी बनें हैं, जिनमें रामायण के सभी पात्रों को प्रभावशाली चरित्र दिखाया जाता रहा है। रामानंद सागर का रामायण धारावाहिक आज भी लोगों के मन में बसा है।
याचिकाओं में कहा है कि फिल्म आदिपुरुष जो रामायण पर आधारित है, में भगवान राम सहित अन्य चरित्रों को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया है और पात्रों के संवाद भी बेहद स्तरहीन हैं। याचिकाओं में आरोप लगाया है कि फिल्म में भगवान राम, माता सीता, हनुमान और रावण जैसे धार्मिक चरित्रों की छवि के साथ छेड़छाड़ की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने फिल्म आदिपुरुष को जारी सेंसर सर्टिफिकेट रद्द करने के साथ ही फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा है कि आदिपुरुष फिल्म से हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं। हिंदुओं में भगवान राम, सीता और हनुमान की एक अलग छवि है, जिसमें किसी भी परिवर्तन या छेड़छाड़ स्वीकार्य नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं ने रामायण के चरित्रों से छेड़छाड़ कर हिंदुओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। याचिकाओं के अनुसार, फिल्म में हिंदू धार्मिक चरित्रों का विकृत सार्वजनिक प्रदर्शन अनुचित है।