केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नियमों के अनुसार ‘कोविड-19 हॉटस्पॉट’ ‘कंटेनमेंट ज़ोन’ का वह इलाक़ा है जहां कोरोना संक्रमितों की संख्या छ: या इससे ज़्यादा हो। जबकि ‘कंटेनमेंट ज़ोन’ उस इलाक़े को कहा जाता है जिसे कोरोना संक्रमण के ख़तरे को देखते हुए पूरी तरह सील किया जा चुका हो। ऐसे इलाकों में लोगों को अपने घरों से बाहर आने की भी अनुमति नहीं है और न ही किसी बाहरी व्यक्ति को इस इलाक़े में दाख़िल होने की अनुमति है।
दिल्ली का तुग़लक़ाबाद एक्सटेंशन ऐसा ही एक हॉटस्पॉट है जहां गली नंबर 24 से 28 तक कंटेनमेंट ज़ोन बनाई गई है। लेकिन पिछले महीने स्थिति तब बदल गई जब यहां से एक ही साथ 35 कोरोना पॉज़िटिव निकल आए।’ यह इलाक़ा दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के गोविंदपुरी थाने के अंतर्गत आता है।
सरकार के निर्देश हैं कि कंटेनमेंट ज़ोन में लोग ज़रूरी सामान लेने के लिए भी घरों से बाहर नहीं निकलेंगे और उन्हें राशन से लेकर दवाओं तक घर पर ही डिलीवर की जाएँगी। लेकिन यह नियम काग़ज़ों पर जितना आसान लगता है,ज़मीन पर इसे लागू करना उतना ही मुश्किल। ख़ासकर तुग़लक़ाबाद एक्सटेंशन जैसे इलाक़े में जहां जनसंख्या घनत्व इतना ज़्यादा है कि कंटेनमेंट ज़ोन बनाई गई इन पाँच गलियों में ही 45 हज़ार से ज़्यादा लोग रहते हैं।
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यह घनी आबादी का क्षेत्र है। पुलिस के लिए यहां व्यवस्था संभालना किसी चुनौती से कम नहीं। ये तो संभव ही नहीं था कि पुलिस घर-घर तक राशन और दवाई पहुंचा सके क्योंकि दस हज़ार से ज़्यादा परिवार यहां रहते हैं और पुलिस के जवानों की संख्या सीमित है। पुलिस ने मनोरंजन के लिए एक नया तरीका निकला है स्पीकर लगा रिक्शा बुलवाती है फिर लोगों की फ़रमाइश के गाने बजाते हैं |
ऐसे में हमने वॉलंटियर अपने साथ जोड़े और तब ये काम काफ़ी हद तक आसान बन गया। वॉलेंटियर्स को दिल्ली पुलिस की ओर से पहचान पत्र दिए गए हैं। इन स्वयंसेवकों के नंबर पूरे इलाक़े में बांट दिए गए और हर गली में पोस्टर चिपका कर भी ये नंबर सार्वजनिक किए गए ताकि लोग आसानी से अपनी ज़रूरतें इन्हें बता सकें। स्वयंसेवकों का एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया है। इलाक़े की कोई भी समस्या होती है तो हम उस ग्रुप में लिख कर भेज देते हैं जिसे वो खुद लगातार देखते हैं।यूपी: गांव जाने के लिए माता-पिता के साथ सरकारी बस का इंतजार कर रही बच्ची को ट्रक ने कुचला, मौत
जिस मुस्तैदी से तुग़लक़ाबाद के इस इलाक़े में पुलिस ने जनता के लिए काम किया,उसी मुस्तैदी के साथ यहां जनता भी पुलिस की मदद और सहयोग के लिए तैयार दिखी। कम से कम पाँच बार यहां ऐसा हो चुका है जब स्थानीय लोगों ने हम पर अपने घरों से फूल बरसाए हैं और तालियाँ बजाकर हमारा हौंसला बढ़ाया है।