भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करने वालों के खिलाफ उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने मुकदमा तो दर्ज करा दिया, लेकिन इस मामले में शामिल अभ्यर्थियों पर कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं कर पाया। स्थिति यह है कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में दस साल के प्रतिबंध का निर्णय लेने के बावजूद आयोग इसे लागू नहीं करवा पाया। माना जा रहा है कि इससे नकल कराने वाला गिरोह आगे बढ़ता चला गया।
UKSSSC: धांधली सामने आने पर मुकदमा तो दर्ज कराया, लेकिन नकलचियों पर प्रतिबंध नहीं लगा पाया आयोग
फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में दस साल के प्रतिबंध का निर्णय लेने के बावजूद आयोग इसे लागू नहीं करवा पाया। माना जा रहा है कि इससे नकल कराने वाला गिरोह आगे बढ़ता चला गया।
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भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करने वालों के खिलाफ उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने मुकदमा तो दर्ज करा दिया, लेकिन इस मामले में शामिल अभ्यर्थियों पर कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं कर पाया। स्थिति यह है कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में दस साल के प्रतिबंध का निर्णय लेने के बावजूद आयोग इसे लागू नहीं करवा पाया। माना जा रहा है कि इससे नकल कराने वाला गिरोह आगे बढ़ता चला गया।
फॉरेस्ट गार्ड भर्ती: दस साल के प्रतिबंध का निर्णय कागजों में
आयोग ने वर्ष 2020 में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा कराई। हरिद्वार के सात केंद्रों पर बड़े पैमाने पर ब्लुटूथ से नकल का मामला सामने आया। पुलिस की जांच में 47 अभ्यर्थियों पर मुकदमा दर्ज किया गया। आयोग ने सात केंद्रों की परीक्षा रद करने के बाद दोबारा परीक्षा कराई। इसके साथ ही निर्णय लिया कि नकल करते पकड़े गए छात्रों को आयोग की परीक्षाओं से दस साल के लिए प्रतिबंधित किया जाएगा, लेकिन यह निर्णय कभी लागू नहीं किया जा सका।
वीपीडीओ भर्ती: परीक्षा रद हुई कार्रवाई कुछ भी नहीं
2016 में आयोग ने वीपीडीओ भर्ती परीक्षा कराई। इसमें 196 अभ्यर्थी पास हुए, लेकिन परीक्षा विवादों में घिर गई। ओएमआर शीट से छेड़छाड़ के तथ्य सामने आने के बाद परीक्षा रद हुई और दोबारा कराई गई। मामले में विजिलेंस ने मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन आयोग के स्तर चिन्ह्ति परीक्षार्थियों को प्रतिबंधित करने जैसा कोई सख्त फैसला नहीं लिया गया।
यूपीसीएल-पिटकुल जेई भर्ती:
यूपीसीएल और पिटकुल में जेई के 252 पदों पर भर्ती के लिए आयोग ने 2017 में परीक्षा कराई थी। इस परीक्षा में रुड़की के एक ही कोचिंग सेंटर के 65 अभ्यर्थी पास हो गए थे। मामले में आयोग ने जांच बैैठाई थी। दोबारा परीक्षा कराई गई लेकिन अभ्यर्थियों को प्रतिबंधित करने का फैसला लेने के बाद भी उसे अमल में नहीं लाया जा सका।