अनिल अंबानी की मुसीबतें खत्म ही नहीं हो रही है। अब खबर है कि सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने अनिल अंबानी के रिलायंस एडीए ग्रुप (Reliance ADA Group) और यस बैंक (Yes Bank) के सह-संस्थापक राणा कपूर के खिलाफ दायर चार्जशीट में दावा किया है कि दोनों पक्षों ने अपने व्यावसायिक हितों को साधने और वित्तीय संकट को छिपाने के लिए एक सोची-समझी ‘आपसी लाभ आधारित सौदेबाजी’ की थी। एजेंसी के अनुसार, इस व्यवस्था के तहत सार्वजनिक फंड का दुरुपयोग करते हुए फंड्स को बार-बार जारी, पुनर्निवेशित और चुकाया गया, जिससे दोनों की कंपनियों को आर्थिक सहारा मिलता रहा।

चार्जशीट में क्या कहा गया

चार्जशीट में कहा गया है कि एडीए ग्रुप की कंपनियों, यस बैंक और रिलायंस निप्पॉन एसेट मैनेजमेंट (RNAM) के बीच यह लेनदेन की श्रृंखला ऐसे ढंग से रची गई थी जिससे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के म्यूचुअल फंड नियमों को दरकिनार किया जा सके। सेबी के नियमों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड अपने समूह या संबद्ध कंपनियों में निजी प्लेसमेंट के जरिए निवेश नहीं कर सकते, लेकिन आरोप है कि इस नियम को चकमा देने के लिए पूरे नेटवर्क को एक वैध निवेश की तरह पेश किया गया।

CBI का कहना है कि अनिल अंबानी और राणा कपूर ने आपसी वित्तीय सहयोग की प्रणाली तैयार की, जिसमें एडीए ग्रुप की कंपनियों को यस बैंक से भारी भरकम फंडिंग मिली, जबकि यस बैंक को रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड (RNMF) से अपने पूंजी साधनों में बड़े निवेश प्राप्त हुए। इससे एक “धन का चक्रीय प्रवाह” बना – जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे को पूंजी समर्थन देते हुए अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत दिखाने का प्रयास कर रहे थे।

जय अनमोल अंबानी की भूमिका पर नजर

जांच एजेंसी ने दावा किया है कि अनिल अंबानी के बेटे जय अनमोल अंबानी ने RNMF में निवेश निर्णयों पर सीधा प्रभाव डाला, जबकि उस समय कंपनी शेयर बाजार में लिस्टिंग की तैयारी कर रही थी। सीबीआई के अनुसार, RNMF के पास आम निवेशकों के पैसे से जुटाए गए हजारों करोड़ रुपये के फंड थे, जिन्हें लंबे समय के डेट इंस्ट्रूमेंट्स में लगाया जाना था। लेकिन, सेबी के प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए अंबानी और कपूर ने एक ऐसा तंत्र बनाया, जिससे RNAM के फंड एडीए ग्रुप की कंपनियों में वैध निवेश के बहाने लगाए जा सकें।

मॉर्गन क्रेडिट्स और रिलायंस होम फाइनेंस के बीच संदिग्ध सौदे

सीबीआई की जांच में सामने आया कि मॉर्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड (MCPL) (जो कपूर परिवार की प्रमोटर कंपनी है) ने जुलाई 2017 में ₹550 करोड़ के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) जारी किए थे। इन्हें राधा कपूर और रोशनी कपूर ने बोर्ड मीटिंग में मंजूरी दी थी और ये डिबेंचर RNMF को आवंटित किए गए थे। उसी समय, यस बैंक रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) के ₹250 करोड़ के एनसीडी बेचने में संघर्ष कर रहा था, जिन्हें दिसंबर 2016 में जारी किया गया था और क्रेडिट वॉच में डाल दिया गया था। RNMF की डेट इन्वेस्टमेंट कमेटी ने 3 अगस्त 2017 को RHFL के ₹249.8 करोड़ मूल्य के NCDs खरीदने की मंजूरी दी। इन दोनों लेनदेन के जरिए RNMF के फंड्स (जो खुदरा और संस्थागत निवेशकों से जुटाए गए थे) MCPL में पहुंच गए, और यस बैंक को रिलायंस ग्रुप के जोखिमभरे निवेशों से बिना किसी नुकसान के बाहर निकलने का मौका मिला। CBI ने कहा कि अंबानी और कपूर ने 6 अक्टूबर 2017 को मुलाकात कर इन आपसी निवेश योजनाओं को अंतिम रूप दिया।

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