नई दिल्ली : झारखंड में पेंशन स्कीम को लेकर हेमंत सोरेन की सत्ता वापसी ने बड़ा राजनीतिक असर डाला था, और अब एनडीए बिहार में इसी पेंशन मॉडल को अपनी चुनावी रणनीति के (Pension Scheme) तौर पर इस्तेमाल करेगी है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों को मिलने वाली पेंशन राशि बढ़ाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं, जिससे एनडीए की सरकार इन वर्गों को अपने पक्ष में करने में जुट गई है।
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दरअसल बिहार विधानसभा में बीजेपी विधायक ललन पासवान ने पेंशन राशि में बढ़ोतरी की मांग की। उनका कहना था कि महंगाई बढ़ गई है, लेकिन पेंशन की राशि में कोई वृद्धि नहीं हुई। उन्होंने हर पेंशनभोगी को 2000 रुपये प्रति माह देने की मांग की। जहां हेमंत सोरेन सरकार द्वारा शुरू की गई सर्वजन पेंशन स्कीम ने गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों का ध्यान आकर्षित किया था। स्कीम में 26 लाख से अधिक पेंशनधारियों को हर माह 600 रुपये मिलते हैं, इस राशि को सोरेन ने चुनाव के बाद बढ़ाकर 2500 रुपये करने का वादा किया है। इस कदम ने विधानसभा चुनाव में सोरेन को बड़ी मदद की, और यह पेंशन स्कीम राज्य में जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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Pension Scheme – वहीं बिहार में भी पेंशन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। वर्तमान में मुख्यमंत्री पेंशन लाभार्थी स्कीम के करीब 30 लाख लोग 400 से 500 रुपये प्रति माह पेंशन मिलाती हैं। हालांकि, विपक्ष और कुछ राजनीतिक दलों का कहना है कि इस राशि में वृद्धि की जरूरत है, खासकर महंगाई के दौर इस में। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी 400 रुपये की पेंशन राशि को नाकाफी बताकर उनकी सरकार आने पर इस राशि में बढ़ोत्तरी का वादा किया है।