Ultrasound will done in Kalpana Chawla Government Medical College after one and half year in Karnal

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज
– फोटो : अमर उजाला


कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में ओपीडी में आने वाली गर्भवती महिलाओं को अब अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए अपनी जेब नहीं ढीली करनी पड़ेगी। क्योंकि अब मेडिकल काॅलेज के अल्ट्रासाउंड केंद्र में ही गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रसाउंड किए जाएंगे। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज के दो गायनी विभाग की महिला डॉक्टरों को अल्ट्रासाउंड करने की इजाजत दे दी हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं व उनके तीमारदारों को बड़ी राहत मिली है।

कल्पना चावला प्रबंधन ने चार डॉक्टरों के नाम की की थी सिफारिश

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में फरवरी 2022 के पहले सप्ताह तक ही रेडियोलॉजिस्ट थी। इसके बाद उनका अन्य किसी जिले में ट्रांसफर हो गया तो तब से लेकर अब तक यानी डेढ़ साल तक मेडिकल कॉलेज में आने वाली गर्भवती महिलाओं में से एक का भी अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाया। ऐसे में गर्भवती महिलाओं सहित गंभीर मरीजों को अपनी जेब ढीली कर प्राइवेट अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर धक्के खाकर अपना अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा था। इसके अलावा जिन लोगों के पास अल्ट्रासाउंड करवाने तक के भी रुपये नहीं थे वे सिविल अस्पताल में 15 से 30 दिनों की वेटिंग के बाद ही गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड हो पा रहे थे। वहीं जिन मरीजों को अधिक समस्या हो रही थी उन्हें मजबूरी में एक हजार से 1500 रुपये तक देकर अल्ट्रासाउंड करवाने पड़ रहे थे।

चार डॉक्टरों में से दो को मिली इजाजत

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड की सुविधा देने के लिए अपने चार डॉक्टरों की फाइल स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन कार्यालय में भेजी थी। जिनमें से दो डॉक्टरों को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए सर्टिफिकेट दिया है। इनमें गायनी विभाग की डॉ. अर्चना व डॉ. ईशा का नाम शामिल है। वहीं दो डॉक्टरों के दस्तावेजों में कमी के चलते रद कर दिए हैं। जिन्हें दोबारा से दस्तावेज पूर्ण कर आवेदन करने के लिए कहा गया हैं।

अधिकारी के अनुसार

कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से कुछ डॉक्टरों की फाइल आई थी। जिनमें से दो डॉक्टरों को अल्ट्रासाउंड करने का प्रमाण पत्र सौंपा गया है। इससे मरीजों को बाहर नहीं भटकना पड़ेंगा और इसके साथ ही सिविल अस्पताल के अल्ट्रासाउंड केंद्र का भी बोझ कम होगा। -डाॅ. रेणु चावला, सिविल सर्जन, स्वास्थ्य विभाग, करनाल।

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