Jind: mother accepted crime in self-consolation, sometimes banged her hands on wall

अपनी ही बेटियों की हत्यारिन मां शीतल।
– फोटो : अमर उजाला


जींद के गांव दनौदा खुर्द निवासी शीतल ने अपनी दो मासूम बच्चियों की हत्या तो बहुत शातिराना अंदाज में कर दी, लेकिन आत्मग्लानि ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। इसी के चलते पुलिस के गिरफ्तार करके पूछताछ करने पर उसने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया। जानकार बताते हैं कि बच्चियों की हत्या करने के अगले दिन ही शीतल ने अपने हाथों को कभी दीवार पर पटका तो कभी आग में जलाने का प्रयास किया। यह सब देखकर परिजन हैरान रह गए। उसकी देवरानी भतेरी ने जब शीतल को भरोसे में लेकर पूछा तो उसने बताया कि अपने ही हाथों अपनी बेटियों को मौत के घाट उतार चुकी है।

शीतल की जगदीप के साथ दूसरी शादी थी, एक बार हो चुका है तलाक

आरोपी शीतल की जगदीप के साथ यह दूसरी शादी थी। पहले भी उस पर अपनी ससुराल के लोगों के खाने में जहर मिलाने का आरोप लगा था, जिस कारण उसका पहले तलाक हुआ था। गांव जागसी निवासी शीतल की दो फरवरी 2022 को दनौदा खुर्द निवासी जगदीप के साथ दूसरी शादी हुई थी। शीतल की आयु लगभग 22 वर्ष थी और जगदीप की आयु 40 वर्ष के आसपास है।

एक तो आयु में बहुत ज्यादा अंतर होना तथा दूसरा जगदीप के शराब पीने से शीतल काफी परेशान थी। इसलिए उसने जगदीप से छुटकारा पाने की योजना बनाई। इसी बीच उसने 15 नवंबर को दो बच्चियों को जन्म दिया, लेकिन उसके दिमाग में अभी भी जगदीप से छुटकारा पानी की योजना चल रही थी। उसने सोचा कि उसे जगदीप से छुटकारा पाने के लिए पहले अपनी बेटियों को ठिकाने लगाना पड़ेगा।

इसलिए उसने 12 जुलाई को अपनी दोनों बच्चियों का मुंह तकिये से दबाकर मार डाला। अगले ही दिन उसे अहसास हुआ कि उसने बहुत ही घिनौना कार्य किया है। इसलिए वह पछतावे से भर गई। जब भी वह अपने हाथों को देखती तो उसे आत्मग्लानि होती। वह हमेशा अपने हाथों को ही देखती रहती। इससे परिजनों को शक हुआ।

मनोचिकित्सक की राय

इस प्रकार के लोग मानसिक रूप से बीमार होते हैं। उनका दिमाग शंकालु हो जाता है। ऐसे लोग बार-बार एक ही बात को दोहराते रहते हैं। यदि किसी मनुष्य में ऐसे लक्षण हों तो उसे तुरंत मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए। ऐसा करने वाले लोग यदि खुद कुछ समय के लिए अपराध में पकड़े जाने के बारे में सोच लें तो वह बच भी सकते हैं। यदि ऐसी कोई बात दिमाग में आए तो इतना बड़ा कदम उठाने से पहले अपने परिजनों से सीधी-सीधी बात करनी चाहिए। -नरेश जागलान, मनोवैज्ञानिक।

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