नई दिल्ली : संसद के दोनों सदनों में इसी सप्ताह पारित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को यह जानकारी दी। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) कानून के तहत भारतीय नागरिकों के (Digital Personal Data Protection) व्यक्तिगत डिजिटल डेटा का दुरपयोग या उसकी रक्षा नहीं कर पाने पर जिम्मेदार इकाई पर 250 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव है।
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Digital Personal Data Protection – उपयोगकर्ताओं के डेटा का इस्तेमाल कर रहीं कंपनियों को उसके व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा करनी होगी और व्यक्तिगत डेटा के उल्लंघन के मामले की सूचना डेटा संरक्षण बोर्ड (डीपीबी) और उपयोगकर्ता को देनी होगी। वैष्णव ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) और स्वदेशी ऐप कू पर लिखा, ”डीपीडीपी विधेयक अब अधिनियम बन गया है। माननीय राष्ट्रपति की मंजूरी मिली।”
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राज्यसभा ने नौ अगस्त को डीपीडीपी विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसमें व्यक्तिगत डेटा के संग्रह और उपयोग को लेकर कई प्रावधान पेश किए गए थे। डीपीडीपी कानून के अनुसार, बच्चों के डेटा का उपयोग उसके संरक्षक की मंजूरी के बाद ही किया जा सकेगा। इस विधेयक को लोकसभा में सात अगस्त को मंजूरी मिली थी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री वैष्णव ने इसी सप्ताह कहा था कि सरकार को उम्मीद है कि इस अधिनियम को 10 महीने के भीतर लागू कर दिया जाएगा।