Martyr Major Ashish Dhaunchak: Proud of martyrdom with grief to the family

शहीद मेजर आशीष के पिता लालचंद।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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शहीद मेजर आशीष धौंचक का पार्थिव शरीर गुरुवार को पानीपत नहीं पहुंच पाया। परिजन और ग्रामीण पूरा दिन टकटकी लगाए रहे। पिता लालचंद, मां कमला, पत्नी ज्योति और तीनों बहनों अंजू, सुमन और ममता का रो-रोकर बुरा हाल रहा। परिजनों के चेहरे पर जहां बेटे को खोने का गम था, वहीं देश के लिए शहीद होने पर गर्व का एहसास भी नजर आया। इस दौरान प्रशासन और सेना के अधिकारियों का पूरा दिन आना-जाना लगा रहा।

राष्ट्रीय राइफल की जालंधर यूनिट से कैप्टन संजीव कुमार की अगुवाई में चार जवानों ने गुरुवार पानीपत आकर आशीष के परिजनों को उनकी शहादत का समाचार व्यक्तिगत रूप से दिया। साथ ही इसे सेना के अन्य जवानों और अफसरों के लिए प्रेरणादायक बताकर गर्व का अहसास कराया। सेना के अधिकारी करीब डेढ़ घंटे तक परिवार के बीच रहे।

इसके बाद वे आशीष के टीडीआई स्थित नए मकान पर भी गए, जहां शुक्रवार को आशीष का पार्थिव शरीर लाया जाएगा। इससे पहले शहीद मेजर आशीष धौंचक के सेक्टर-7 स्थित किराए के मकान में गुरुवार की सुबह से ही शोक व्यक्त करने वालों का तांता लगा रहा। इस दौरान पूरा मकान महिलाओं और पुरुषों से भर गया। मेजर आशीष की शहादत की जानकारी लगने पर कोई भी अपने आंसू रोक नहीं पाया। पानीपत शहर विधायक प्रमोद विज, मेयर अवनीत कौर, एसडीएम मनदीप सिंह, तहसीलदार वीरेंद्र गिल ने पहुंचकर परिवार को ढांढस बधाया।


मेजर आशीष धौंचक के पिता लालचंद और चचेरे भाई मेजर विकास से बात करते कैप्टन संजीव कुमार।

पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यू के छोटे भाई मेजर सतपाल सिंह संधू और उनके चचेरे भाई प्रवीण संधू परिवार सहित पहुंचे। बताया जा रहा है कि आशीष की पत्नी ज्योति पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यू की नजदीकी रिश्तेदारी से है। परिवार के लोग गुरुवार की शाम तक पार्थिव शरीर पानीपत पहुंचने की आस लगाए हुए थे, लेकिन यह संभव नहीं हो सका।

मेजर सतपाल सिंह संधू ने सेना के अधिकारियों से भी इस विषय में बात की। दोपहर बाद राष्ट्रीय राइफल की जालंधर यूनिट से कैप्टन संजीव कुमार मेजर आशीष के घर पहुंचे। उन्होंने उनके पिता लालचंद और चचेरे भाई मेजर विकास से बातचीत की और उनको ढांढस बंधाया।

उन्होंने इसके बाद परिवार के बाकी सदस्यों से बातचीत की। उन्होंने परिजनों को बताया कि शहीद मेजर आशीष धौंचक का पार्थिव शरीर शुक्रवार सुबह जम्मू कश्मीर से पहले चंडीगढ़ पहुंचेगा, जहां से पानीपत लाया जाएगा।

पिता लालचंद बोले – चार दिन पहले हुई थी बेटे से बात…

पिता लालचंद पूरे दिन लोगों से घिरे बैठे रहे। दोपहर बाद बाहर निकले तो हर नजर उनकी तरफ थी। वे बोले कि सब कुछ होकर भी कुछ नहीं दिखाई देता। उन्होंने कहा कि चार दिन पहले ही बेटे आशीष से बात हुई थी। उसने अधिकतर समय मकान के काम के बारे में में ही बातचीत की। वैसे तो अक्सर बात होती थी, लेकिन उस दिन उनकी बातों को सुनने का भी मन कर रहा था। मुझे नहीं पता था कि अनहोनी यह दिन दिखा देगी।

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