देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर में सर्दी का अभी शुरुआती दौर ही है, लेकिन हवा की दिशा बदलने से इसमें प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगी है| करीब तीन माह से बेहतर स्थिति में चल रही हवा खराब हो चुकी है| धुंध से दिल्लीवासियों को सांस लेने में परेशानी महसूस होने लगी है| सफर इंडिया और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की मानें तो अगले 24 घंटे में प्रदूषण का स्तर अधिक बढ़ेगा|

पराली के धुएं का असर भी लगातार बढ़ रहा है| शनिवार को यह केवल दो फीसद था, लेकिन सोमवार को आठ से नौ फीसद तक पहुंच जाने की संभावना है| ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण खतरनाक स्तर पर जा सकता है|

राजधानी में ग्रेडेड रेस्पॉन्स ऐक्शन प्लान (GRAP) लागू होने के बावजूद हवा खराब होती जा रही है| बुधवार को पहली बार प्रदूषण का स्तर बेहद खराब हो चुका है और ऐसी ही स्थिति गुरुवार को भी बनी रही| आज सुबह एयर क्वॉलिटी इंडेक्स ने 312 का कांटा छू लिया था|

बता दें कि एक्यूआई 0 से 50 के बीच होने पर ‘अच्छा’ होता है, जबकि 51 से 100 के बीच होने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ समझा जाता है| बुधवार को दिल्ली का औसत एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 304 पर था| पूरे देश में गाजियाबाद 339 इंडेक्स के साथ सबसे प्रदूषित रहा|

SAFAR (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के मुताबिक 14 अक्टूबर 2019 यानी आज दिल्ली-NCR में PM2.5 का स्तर 121 हैं जो बेहद खराब श्रेणी में आता है| यह कल यानी 15 अक्टूबर को 129 हो सकता है यानी हालत और बिगड़ सकती है| जबकि, 3 दिन बाद यह 136 के अंक पर चली जाएगी|

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वहीं, PM10 का स्तर आज यानी 14 अक्टूबर 2019 को दिल्ली-NCR में 258 है| कल यानी 15 अक्टूबर को यह 234 और तीन दिन बाद 277 अंक हो जाएगा, यानी हवा में जहर की मात्रा बढ़ जाएगी| आखिर ऐसा हो क्यों रहा है?


दिल्ली में प्रदूषण का अभी सबसे बड़ा कारण है पराली का जलाना|

इस साल देश भर में मॉनसूनी बारिश सामान्य से करीब 10 फीसदी ज्यादा हुई है| दिल्ली के आसपास के राज्यों में भी बारिश की मात्रा ठीक रही है| इस बार का मॉनसून लेट आया लेकिन रूका ज्यादा दिनों तक| इसलिए चावल की खेती के लिए दिल्ली के पड़ोसी राज्यों को भरपूर मात्रा में पानी मिला| इससे चावल और अन्य फसलों की पैदावार बंपर हुई है| अब इन फसलों की पराली को जलाया जा रहा है| जिससे दिल्ली की हवा और लोगों की सांसें आफत में हैं|

पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान में पराली जलाई जा रही है| अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने 1 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक 1645 जगहों पर पराली जलाने की घटना दिखी है| SAFAR ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान में पराली जलाई जा रही है और हवा की दिशा दिल्ली की तरफ है, इसलिए पराली का धुआं दिल्ली की हवाओं में मिल रहा है|

आपातकालीन सेवाओं में दी डीजल जनरेटर की छूट

मंगलवार से दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू हो रहा है| इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर में डीजल जनरेटर चलाने पर रोक लग जाएगी| पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के मुताबिक डीजल के अलावा मिट्टी के तेल और पेट्रोल से चलने वाले जनरेटर पर भी 13 मार्च 2020 तक प्रतिबंध रहेगा|

लेकिन आपातकालीन सेवाओं में यह नियम लागू नहीं होगा| अस्पताल, नर्सिंग होम, स्वास्थ्य केंद्र, लिफ्ट एंड एक्सीलरेटर, रेलवे सर्विसेज एंड स्टेशन, डीएमआरसी सर्विसेज जिसमें ट्रेन और स्टेशन शामिल हैं, एयरपोर्ट और अंतरराज्जीय बस टर्मिनल इस प्रतिबंध से बाहर रहेंगे|

प्रदूषण के साथ दिल्ली में धुंध और ठंडक बढ़ी

प्रदूषण के साथ-साथ ही दिल्ली के मौसम में ठंडक और धुंध का असर भी बढ़ने लगा है| रविवार सुबह तो दिल्ली के ज्यादातर हिस्सों में धूप खिली, लेकिन दिन भर के दौरान बीच-बीच में बादलों की आवाजाही भी लगी रही| रविवार को अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया जो इस मौसम का सामान्य तापमान है| न्यूनतम तापमान 20.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से एक डिग्री ज्यादा है| मौसम विभाग का अनुमान है कि सोमवार को भी हल्की धुंध छाई रह सकती है और ठंडक का असर बना रहेगा|

1 टन पराली जलाने से आखिर कितना प्रदूषण होता है?

NASA के मुताबिक 1 टन परानी जलाने से 2 किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साइड (SO2), 3 किलोग्राम पर्टिकुलेट मैटर (PM), 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), 1,460 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड (CO2) और 199 किलोग्राम राख पैदा होती है| अब आप सोचिए कि 200 मीट्रिक टन पराली जलाया जाएगा तो कितना प्रदूषण होगा|

इस साल और बढ़ सकता है दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण

NASA के नॉर्मेलाइज्ड डिफरेंस वेजीटेशन इंडेक्स (NDVI) दुनियाभर में फसलों की पैदावार का आंकड़ा जुटाता है| NASA के अनुसार 2002 से 2018 तक हर साल पराली जलाने की घटनाओं में इजाफा हो रहा है| सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटना 2016 में दर्ज हुई थी| 2016 में पराली जलाने की 18 हजार घटनाएं हुई थीं| NASA को आशंका है कि इस साल 16 हजार के आसपास ये आंकड़ा पहुंचेगा|

बारिश भी है दिल्ली के प्रदूषण की एक वजह

भारतीय मौसम विभाग की माने तो इस साल मॉनसूनी बारिश 5 जून के आसपास शुरू हुई| अब तक यानी 14 अक्टूबर 2019 तक यह सामान्य से करीब 10 फीसदी ज्यादा है| पंजाब और हरियाणा में भी बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है| NASA की माने तो इस बार पंजाब और हरियाणा में चावल की पैदावार बढ़ेगी| NASA ने उम्मीद जताई है कि इस बार 200 मीट्रिक टन पराली ज्यादा निकलेगा|

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नहीं लागू हो पाएगा GRAP

दिल्ली में प्रदूषण बेहद खराब के स्तर को छू चुका है| सफर के मुताबिक इसमें सुधार होने के आसार भी नहीं हैं| इस स्थिति के बावजूद GRAP (ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान) के कुछ नियम लागू नहीं हो पाएंगे| GRAP को लागू हुए 48 घंटे हो चुके हैं, लेकिन हर तरफ नियम टूटते दिख रहे हैं|

खासतौर पर एनसीआर के गुरुग्राम और नोएडा में डीजल जेनरेटर चल रहे हैं| दिल्ली में भी सड़कों के किनारे खुले में आग लगाने, जेनरेटर चलने, कंस्ट्रक्शन साइटों पर लापरवाही के मामले बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं|

Image Source :- Google

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