पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण, संरक्षण एवं सतत विकास को बढ़ावा देने के लिये पर्यावरण की प्रगति आदि के नियंत्रण के लिये हमारे देश की सरकार की भूमिका काफी नाज़ुक रही है| बहुत सारे पर्यावरणीय मुद्दों पर कार्य करने के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कई सारे कदम उठाएं गए हैं| इनवायरमेंटल कंज़र्वेशन के लिए हर कोई कड़े कदम उठा रहा है

राष्ट्रीय सरकारों तथा सिविल सोसाइटी द्वारा कई पर्यावरण संबंधी संस्थाएँ एवं संगठन भी स्थापित किए गए हैं| कोई भी पर्यावरणीय संगठन एक ऐसा संगठन होता है जो पर्यावरण को किसी प्रकार के दुरुपयोग होने से सुरक्षित रखता है|

यही नहीं बल्कि ये संगठन पर्यावरण की देखभाल तथा विश्लेषण भी करते हैं और इन सब को पाने के लिये ताक़तवर भी बनाते हैं| पर्यावरणीय संगठन कोई भी सरकारी संगठन, गैर सरकारी संगठन या फिर चैरिटी और ट्रस्ट भी हो सकते है| पर्यावरणीय संगठन अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय या स्थानीय हो सकते हैं|

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यह लेख आपको मुख्य पर्यावरणीय संगठनों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा| ये संगठन सरकारी हों या सरकार के बाहर के राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण के बचाव तथा विकास के लिये कार्य करते हैं|

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय :-

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय देश में पर्यावरण एवं वन संबंधी कार्यक्रमों के कार्य करने की योजना बनाने, उसका प्रचार करने, संघटन करने के लिये केन्द्रीय सरकार के प्रशासनिक तंत्र में एक नोडल एजेंसी है|

इस मंत्रालय द्वारा किए जाने वाले इनवायरमेंटल कंज़र्वेशन के मुख्य कार्ये है:-

भारत के वनस्पति तथा जीव जन्तुओं को बचना और उनकी देख भाल करना, वनों एवं बीहड़ क्षेत्रों को ऊपर उठना, प्रदूषण नियंत्रण तथा निवारण, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना और भूमि अवक्रमण को कम करना भी इसी संगठन का काम है| यह भारत के राष्ट्रीय पार्कों के साफ़-सफ़ाई और देखभाल के लिये भी जिम्मेदार है|

इसका कार्ये लोगों को पर्यावरणीय के प्रति जागरूकता फैलाना है| यह मंत्रालय यूनाइटेड नेशन्स पर्यावरण कार्यक्रम के लिये भी नोडल एजेंसी है|

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड :-

इनवायरमेंटल कंज़र्वेशन के लिए प्रदूषण पर कण्ट्रोल करना बेहद ज़रूरी है| केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक क़ानूनी संगठन है जिसकी शुरुवात सितंबर 1974 में, जल कानून के तहत हुआ था| इसके अलावा CBCB को वायु कानून (प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण), 1981 के तहत क्षमताएँ एवं कार्य भी सौंपे गए थे| यह 1986 के अन्तर्गत पर्यावरण (संरक्षण) कानून के प्रयोजनों के लिये पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ प्रदान करता है एवं इसके लिये क्षेत्र निर्माण भी करता है|

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CBCB के मुख्य कार्य, जैसा कि 1974 के जल कानून (प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण) तथा 1981 के वायु कानून (प्रदूषण नियंत्रण तथा निवारण) में बताया गया :

– राज्यों के विभिन्न भागों में जल धाराओं तथा कुओं की सफाई को बढ़ावा देना जिसमें जल प्रदूषण का नियंत्रण, निवारण तथा कटौती शामिल हो,

– देश में वायु प्रदूषण का नियंत्रण, निवारण तथा कटौती के साथ-साथ वायु की गुणवत्ता का विकास करना|

भारतीय मानकों की गुणवत्ता की आवश्यकताओं के साथ-साथ कुछ पर्यावरण की शर्तों को पूरा करने के लिये बनाए गए घरेलू एवं उपभोक्ता उत्पादों के लिये ‘‘पर्यावरण मित्र उत्पाद’’ के लेबल की योजना काफी प्रभावी हो रही है| इस योजना को ‘‘इकोमार्क स्कीम ऑफ इंडिया’’ कहा जाता है|

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पर्यावरणीय शासन एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड :-

अंब्रेला एक्ट (Umbrella Act) EPA (पर्यावरणीय संरक्षण एजेंसी, Environmental Protection Agency Act), 1986 ने पहले के सभी कार्यो को और मजबूती प्रदान की| देश में औद्योगिक, वाहन संबंधित तथा ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिये विशेष प्रावधान किए गए|

भारत में, राज्यों की अपनी स्वयं कोई पर्यावरण नीति नहीं हैं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बनाई गई नीतियों को ही अपनाते हैं बस इसमें उस राज्य की स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार थोड़े बहुत परिवर्तन कर लिये जाते हैं| केन्द्र सरकार भी, राज्य सरकारों को विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर दिशा-निर्देश देती रहती है|

वन्य जीवों के लिये भारतीय बोर्ड :-

देश में IBWL (Indian Board for Wildlife) वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में, एक अहम सलाहकार संस्था है एवं इसके अध्यक्ष भारत के माननीय प्रधानमंत्री होते हैं| IBWL का पुनर्गठन 7 दिसम्बर, 2001 से प्रभावकारी हुआ| IBWL की 21वीं बैठक 21 जनवरी, 2002 को नई दिल्ली में हुई जिसमें भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने अध्यक्षता की थी|

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विश्व स्वास्थ्य संगठन :-

WHO के संविधान के अनुसार इसके उद्देश्य हैं ‘‘सभी लोगों को स्वास्थ्य की प्रणाली उच्चतम संभावित स्तर पर उपलब्ध हो’’ इसका मुख्य कार्य है रोगों से लड़ाई, विशेषकर संक्रामक रोगों से, एवं विश्व के लोगों में सामान्य स्वास्थ्य को बढ़ावा देना|

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र की प्रारंभिक एजेंसियों में से एक है| इसका सर्वप्रथम गठन प्रथम विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल, 1948) को हुआ था| जब इसका समर्थन 26 सदस्य देशों द्वारा किया गया था। WHO में 193 सदस्य देश हैं।

WHO को सदस्य देशों से एवं दानकर्ताओं से सहयोग एवं आर्थिक सहायता मिलती है|

इनवायरमेंटल कंज़र्वेशन से जुड़े इसके कार्य :-

सार्स (SARS, Severe Acute Respiration Syndrome, सीवीयर ऐक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम), मलेरिया, स्वाइन फ्लू एवं एड्स (AIDS) जैसी संक्रामक बीमारियों को फैलने से बचाने के वैश्विक प्रयासों के समन्वयन पर ध्यान रखना एवं इन रोगों के इलाज एवं रोकथाम के लिये कार्यक्रम प्रवर्तित करना WHO की गतिविधियों में शामिल है|

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सुरक्षित एवं प्रभावी टीके, फार्मास्यूटिकल डॉयग्नॉस्टिक्स एवं दवाओं के विकास एवं वितरण को WHO समर्थन करता है| चेचक के लिये करीब दो दशकों तक लड़ने के बाद 1980 में WHO ने घोषणा की कि यह बीमारी पूरी तरह से मिटा दी गई है| यह इतिहास में पहली ऐसी बीमारी थी जो मानव प्रयास द्वारा पूरी तरह से मिटा दी गई थी|

WHO का लक्ष्य है अगले कुछ वर्षों में पोलियो को भी जड़ से मिटा देना| कई बीमारियों को जड़ से मिटाने के इसके काम के साथ-साथ हाल ही के कुछ वर्षों में WHO ने स्वास्थ्य से जुड़े कई मुद्दों जैसे तंबाकू के सेवन को कम कराना तथा लोगों में फल तथा सब्जियों के सेवन को बढ़ाने के अभियान की तरफ अधिक ध्यान देना शुरू किया है|

इनवायरमेंटल कंज़र्वेशन और स्वास्थ्य का आपस में घनिष्ट संबंध है| 1992 का पर्यावरण एवं विकास पर की गई रियो घोषणा का नियम कहता है कि ‘‘सतत (दीर्घोपयोगी) विकास की चिंता के केंद्र में मानव जाति है|

वे प्रकृति को संतुलन बनाए रखते हुए एक स्वस्थ्य तथा उत्पादकता पूर्ण जीवन के हकदार हैं| पर्यावरणीय खतरे, संपूर्ण विश्व में होने वाली बीमारियों के कुल योग का करीब 25% (अनुमानित) के लिये जिम्मेदार है| इनवायरमेंटल कंज़र्वेशन न केवल एक ज़िम्मेदारी बल्कि अब एक ज़रुरत बन चुकी है

Image source: https://www.lookchup.com/ 

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