व्हाट्सऐप के जरिए हम अपना काम आसान तरीके से पूरा करते है और हम अपनी सारी डेटा का आदान प्रदान व्हाट्सऐप के जरिए ही करते है| लेकिन हमें ये आभास नही होता की हम पर किसी और का नजर है|
हाल ही में एक खुलासा हुआ कि इजराइली फर्म स्पाइवेयर के जरिए व्हाट्सऐप हैकिंग कर भारतीय पत्रकारो और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर जासूसी की गई| स्पाइवेयर Pegasus इतना खतानाक है कि आपके मोबाइल डिवाइस में मौजूद सारी डेटा सिर्फ एक मिस्ड कॉल के जरिए सीज कर सकता है|
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ये जासूसी तब हुई जब मई में लोक सभा चुनाव का दौर चल रहा था अब ऐसे में गौर किया जाए तो कही सरकार की कोई भूमिका तो नही है वही सरकार इस मामलें में जुड़ने से इनकार किया है|
रविशकर नें कहा कि इस मामले को लेकर सरकार खुद चिंतित है हमने व्हाट्सऐप हैकिंग को लेकर व्हाट्सऐप को यह स्पष्ट करने को कहा है कि यह किस प्रकार की जासूसी है और उसने करोड़ों भारतीयों की निजता की सुरक्षा के लिये क्या कदम उठाया है|
(व्हाट्सऐप) के मुताबिक ये जासूसी 29 अप्रैल से 10 मई के बीच हुई| शिकायत में कहा गया है कि एनएसओ ने 1400 टारगेट डिवाइस की जासूसी करने के लिए 29 अप्रैल 2019 से 10 मई 2019 के बीच वॉट्सऐप के सर्वर पर अपना मलिशस कोड प्रसारित किया| उन्हें मई में इसका पता चला और फिर उन्होंने इसे ब्लॉक कर दिया|
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इसके बाद वाट्सएप के साथ मिलकर इस मामले की जांच करने वाले ग्रुप सिटीजन लैब ने लोगों से संपर्क करना शुरू किया इस हफ्ते व्हाट्सऐप हैकिंग को लेकर एक-एक शख़्स को जानकारी दी कि उनका फोन निशाने पर था|
यह स्पाइवेयर निशाना बनाने वाले डिवाइस पर कोई निशान नहीं छोड़ता कम से कम बैटरी, मेमोरी और डेटा की खपत करता है और एक सेल्फ-डिस्ट्रक्ट ऑप्शन के साथ आता है, जिसे किसी भी समय इस्तेमाल किया जा सकता है|
विडियो कॉलिंग फीचर में शामिल था स्पाईवेयर
वॉट्सऐप के प्रमुख विल कैचकार्ट ने एक आर्टिकल प्रकाशित किया जिसमें लिखा था मई में वॉट्सऐप ने घोषणा की कि हमने एक नए तरह के साइबर हमले का पता लगाया और उसे ब्लॉक किया| यह हमारे विडियो कॉलिंग फीचर में शामिल हो गया था|
यह यूजर को विडियो कॉल के रूप में दिखाई देता, लेकिन यह सामान्य कॉल नहीं होती थी| फोन की रिंग बजते ही जालसाज पीड़ित के फोन में स्पाईवेयर डालने के लिए उसके फोन में चुपके से मलिशस कोड ट्रांसमिट कर देते थे|
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इसके लिए उस व्यक्ति को कॉल का रिप्लाई देने की भी जरूरत नहीं पड़ती थी| उन्होंने लिखा, ‘एनएसओ ने पहले इस अटैक में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन हमारी जांच में यह लिप्त पाया गया|
ये व्हाट्सऐप हैकिंग इज़राइल की एक फ़र्म एनएसओ के बनाए एक सॉफ्टवेयर के ज़रिए हुई बता दें कि भारत में 40 करोड़ एक्टिव वाट्सएप यूज़र हैं| एनएसओ के क्लाइंट्स में किंगडम ऑफ बहरीन, यूनाइटेड अरब अमीरात और मैक्सिको में सरकारी एजेंसियों समेत निजी संस्थाएं शामिल हैं|
इस पुरे मामले मे एनएसओ का कहना है कि उसने कुछ गलत नही किया है| ये सॉफ्टवेयर दुनिया भर में वैध है सरकारी एजेंसियों को ही देती है|
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