भोपाल: शास्त्रीय नृत्य की परंपरा को जीवित रखते हुए ‘कथक अश्वमेध’ का दूसरा संस्करण भोपाल के शहीद भवन सभागार में भव्यता के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन सिर्फ प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक महायज्ञ था, जिसमें देशभर के युवा कलाकारों ने नृत्याहुतियाँ दीं। कुछ कलाकारों ने लय और गति से मंच को सजाया, तो कुछ (Mahayagya of kathak Ashwamedha concluded) ने भावनाओं की गहराई से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह आयोजन निर्झर कला संस्थान, नागपुर द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें देशभर से कई प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। हर प्रतिभागी ने अपनी कला का सर्वोत्तम प्रदर्शन किया, लेकिन निर्णायक मंडल ने तीन प्रमुख कलाकारों को चुना, जिन्होंने कथक की अगली पीढ़ी की दिशा तय की।
Mahayagya of kathak Ashwamedha concluded
- इस प्रतियोगिता में बड़ौदा, गुजरात की अनाहिता वानारे ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि मनस्वी भोजने और रायपुर के शिवांश कुर्म ने दूसरे स्थान पर अपनी जगह बनाई।
- इसके अलावा, नागपुर के गनेश बोरकुटे ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। उनके प्रदर्शन में दर्शकों को परंपरा और नवाचार का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिला।
- समापन समारोह में शहीद भवन में मौजूद अतिथियों और निर्णायक मंडल ने इन युवा कलाकारों की सराहना की और आयोजन को एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में प्रस्तुत किया।
- इस कार्यक्रम में रायगढ़ घराने की प्रतिष्ठित नृत्यांगना और गुरु अल्पना बाजपेई मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।
- उन्होंने कहा, “जिस तरह प्राचीन काल में कलाकारों को राजा-महाराजा राजाश्रय प्रदान करते थे, वैसी ही गरिमामयी भूमिका आज निर्झर कला संस्थान निभा रहा है। ऐसे मंच पर प्रस्तुति देना, किसी भी प्रतिभागी के लिए गर्व की बात है।”
- कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली से आई अंतर्राष्ट्रीय कथक नृत्यांगना नीलाक्षी खंडकर सक्सेना, कथक के ठाठ सम्राट श्री सुभाष चंद्र और तबला वादक और कथक के तालगुरु पंडित मनु राज पचौरी भी उपस्थित रहे।