दीपों का त्योहार दिवाली देशभर में धूमधाम से मनाया गया. इस दिन पटाखे भी खूब जलाए गए. देश की राजधानी दिल्ली में दिवाली पर देर रात तक पटाखों की गूंज सुनाई देती रही. यही नहीं, दिल्ली के सीमावर्ती राज्य पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं भी हुईं. नतीजा ये हुआ कि इस बार दिल्ली की वायु गुणवत्ता बीते चार साल में सबसे खराब रही.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार शाम चार बजे दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 345 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है. बीते वर्षों की तुलना में यह सबसे ऊंचा स्तर रहा. वहीं, साल 2024 में AQI 330, 2023 में 218 और 2022 में 312 था. रात भर दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर उच्च बना रहा. सीपीसीबी के अनुसार, रात 10 बजे AQI 344, रात 11 बजे 347, आधी रात को 349 और एक बजे 348 रहा. मंगलवार सुबह भी हालात में कोई सुधार नहीं हुआ और सूचकांक 351 से 359 के बीच बना रहा.

कितना रहा पीएम 2.5 का लेवल?

वहीं, पीएम 2.5 स्तर ने भी चार साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. दिवाली की देर रात यह 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया. यह स्तर सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक है. 2024 में पीएम 2.5 का स्तर 609, 2023 में 570, 2022 में 534 और 2021 में 728 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था.

दिवाली के दिन शाम चार बजे पीएम 2.5 का स्तर 91 था, जो शाम होते-होते लगातार बढ़ता गया. शाम 6 बजे 106, 7 बजे 146, 8 बजे 223, 9 बजे 371 और रात 10 बजे 537 तक पहुंच गया. आधी रात में यह 675 के शिखर पर रहा. इसके बाद मंगलवार सुबह हवा की दिशा बदलने से स्तर में गिरावट आई और यह 91 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर लौट आया.

दिवाली पर केवल ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति थी

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर रात 8 से 10 बजे के बीच केवल ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी थी, लेकिन कई इलाकों में देर रात तक पटाखे फूटते रहे, जिससे प्रदूषण में भारी इजाफा हुआ. डीएसएस (Decision Support System) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण में योगदान परिवहन क्षेत्र का भी रहा, जो 14.6% रहा. पड़ोसी शहरों में गाजियाबाद का योगदान 6%, नोएडा का 8.3%, गुरुग्राम का 3.6% और पराली जलाने का 1% रहा.

पंजाब में पराली जलाने की 45 घटनाएं

दिवाली के दिन पंजाब में पराली जलाने की 45, हरियाणा में 13 और उत्तर प्रदेश में 77 घटनाएं दर्ज की गईं. दिल्ली स्थित सीपीसीबी के पूर्व अतिरिक्त निदेशक और एअर लैबोरेट्रीज के प्रमुख दीपांकर साहा ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में बने दबाव के कारण हवा की गति कम हो गई, जिससे प्रदूषक फैल नहीं पाए और हवा स्थिर हो गई. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में हवा की गति बढ़ने से वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता है.

सीपीसीबी के अनुसार, 0 से 50 के बीच AQI अच्छा, 51 से 100 संतोषजनक, 101 से 200 मध्यम, 201 से 300 खराब, 301 से 400 बहुत खराब और 401 से 500 गंभीर श्रेणी में माना जाता है.

Share.
Exit mobile version