पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में करोड़ों रुपये का (NH 74) एनएच-74 घोटाला कुछ सफेदपोशों के संरक्षण में हुआ था। इन सफेदपोशों ने ही घोटाला करने वाले अधिकारियों को भी संरक्षण दिया। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत मंगलवार को बाजपुर और काशीपुर में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने के लिये पहुंचे थे।
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NH 74 – रावत ने कहा कि ऊधमसिंहनगर के चर्चित एनएच-74 घोटाले की जांच के लिए उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में एसआईटी गठित की थी। घोटाले में लिप्त पाये गये दो आईएएस अधिकारियों को सस्पेंड किया गया, जबकि सात-आठ अधिकारियों को निलंबित करने के साथ गिरफ्तार भी किया गया। बताया कि कई लोगों ने इस मामले में धन भी वापस लौटाया था।
आपको बता दूँ कि ऊधमसिंह नगर से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-74 के फोरलेन बनने के कारण किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन इसकी जद में आ गई थी। इसमें अधिकारियों ने किसानों से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से बड़ी संख्या में कृषि भूमि को अकृषक यानी 143 दिखाकर करोड़ों रुपये का मुआवजा हड़प लिया था। इस घोटाले की जांच के लिए 2017 में प्रदेश सरकार ने एसआईटी गठित की थी। एसआईटी की जांच में करीब 400 करोड़ रुपये घोटाले की बात सामने आई थी।
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एनएच 74 घोटाले में एसआईटी की जांच आख्या पर आईएएस अफसर डॉ.पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव को निलंबित कर दिया गया था। निलंबित एसडीएम भगत सिंह फोनिया, अनिल शुक्ला, एनएस नगन्याल, तीरथपाल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इनके अलावा पेशकार विकास चौहान, संग्रह अमीन अनिल कुमार, प्रभारी तहसीलदार मदन मोहन पलड़यिा, रिटायर्ड तहसीलदार भोले लाल, अनुसेवक रामसमुझ, स्टांप वेंडर जीशान, किसान ओमप्रकाश, चरन सिंह, राजस्व अहलमद संजय चौहान आदि को एसआईटी ने जेल भेजा था।