Close Menu
करंट न्यूज़करंट न्यूज़
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • BJP ने चला ‘लोकप्रियता’ का दांव : बिहार चुनाव के लिए दूसरी लिस्ट जारी, मैथिली ठाकुर को दिया टिकट
    • रिटायर्ड आबकारी अधिकारी बना ‘कुबेर’: EOW के छापे में ₹1 करोड़ कैश, 2.5 KG सोना और फिल्मों में इन्वेस्टमेंट मिला
    • भोपाल में ‘धान’ पर सियासी संग्राम! जीतू पटवारी अचानक शिवराज सिंह चौहान के घर पहुंचे
    • भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान मिशन ‘गगनयान’ कब होगा लॉन्च? ISRO प्रमुख वी नारायणन ने बताया
    • दामाद बना जल्लाद : ससुर को खाट में बांधकर पेट्रोल बम से हमला, बुजुर्ग की जिंदा जलकर मौत
    • वोटर लिस्ट में ‘महाधांधली’! MVA का गंभीर आरोप- ‘ये बोगस वोट ही महायुति को जिताते हैं’
    • दिवाली से पहले ही दिल्ली में ‘जहर’ घुला : आनंद विहार में AQI 350 के पार, प्रदूषण पर काबू पाने के लिए GRAP-1 लागू
    • पॉलिटिकल ड्रामा : 4 दिन से पत्नी को मना रहे चुनाव लड़ने के लिए, नहीं मानी तो RJD के लिए करेंगे धुआंधार प्रचार
    करंट न्यूज़करंट न्यूज़
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube
    Wednesday, October 15
    • होम
    • राज्य
      • दिल्ली
      • उत्तर प्रदेश
      • उत्तराखण्ड
      • मध्य प्रदेश
      • छत्तीसगढ़
      • हिमांचल प्रदेश
      • पंजाब
      • झारखण्ड
      • बिहार
      • राजस्थान
      • हरियाणा
      • गुजरात
      • महाराष्ट्र
      • जम्मू कश्मीर
    • देश
    • मनोरंजन
    • खेल
    • टेक्नोलॉजी
    • लाइफ स्टाइल
    करंट न्यूज़करंट न्यूज़
    Home » चैत्र नवरात्रि : ऐश्वर्य और समृद्धि के लिए ऐसे करें मंत्र जप

    चैत्र नवरात्रि : ऐश्वर्य और समृद्धि के लिए ऐसे करें मंत्र जप

    March 30, 2022 बड़ी खबर 2 Mins Read
    Navratri
    Share
    Facebook Twitter Email WhatsApp Copy Link

    चैत्र मासे जगद्ब्रह्म समग्रे प्रथमेऽनि
    शुक्ल पक्षे समग्रे तु सदा सूर्योदये सति – (ब्रह्म पुराण)

    Navratri –  ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का निर्माण हुआ था। अथर्ववेद में भी इस बात का संकेत मिलता है|नव संवत्सर का आरंभ यहाँ से माना जाता है|शास्त्र के अनुसार इस समय चन्द्रमा से जीवनदायी रस निकलता है, जो औषधियों और वनस्पतियों को पुष्ट करता है और उनके लिए जीवनप्रद होता है।हमारे देश भारत में इसी दिन से काल गणना भी शुरू हुई थी। हिन्दू कैलेण्डर विक्रम संवत की शुरूआत भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हुआ| बारह महीने का साल और सात दिन का सप्ताह रखने का रिवाज विक्रम संवत से शुरु हुआ।

    इसे भी पढ़ें – महाशिवरात्रि पर स्वयं करें भगवान शिव को आमंत्रित

    चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात सृष्टि के निर्माण का दिन, निराकार के साकार होने का दिन, नव संवत्सर के आरम्भ होने का दिन, महाशक्ति के आवाहन का दिन|नव संवत्सर पर कलश स्थापना करके नौ दिवसीय शक्ति उपासना की जाती है| मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, दुर्गा सप्तशती में खुद भगवती ने इस समय की शक्ति-पूजा को महापूजा बताया है। गौरी और गायत्री इन दो महाशक्तियों की आराधना की जाती है|

    शक्ति उपासना में मंत्रोच्चार का विशेष महत्व है|

    मंत्र की महिमा को ठीक ठीक समझें क्योंकि -जानें बिनु न होइ परतीती। बिनु परतीति होइ नहिं प्रीती॥प्रीति बिना नहिं भगति दिढ़ाई। जिमि खगपति जल कै चिकनाई॥जाने बिना  विश्वास नहीं जमता, विश्वास के बिना प्रीति नहीं होती और प्रीति बिना भक्ति वैसे ही दृढ़ नहीं होती जैसे हे पक्षीराज! जल की चिकनाई ठहरती नहीं|कहते हैं – ‘देवाधीनाजगत्सर्वं मन्त्राधीनाश्च देवता:।’सारा संसार देवताओं के अधीन है तथा देवता मंत्रों के अधीन हैं|इसलिए भी मंत्र की महत्ता और बढ़ जाती है|

    इसे भी पढ़ें – शनि की साढ़े साती – कितना घातक ? 

    मंत्र हमें इतनी ऊर्जा से युक्त कर देते हैं कि हम स्वयं के भीतर दिव्य चेतना की अनुभूति तो करते ही हैं, परम चेतना के साथ भी एकात्म स्थापित करने में कामयाब होते हैं|सद्गुणों में वृद्धि होती है और अंतःकरण की शुद्धि होती है|हमें आरोग्य की प्राप्ति होती है| हम समृद्ध होते हैं|

    मंत्र साधना में आज हम जानेंगे गायत्री मंत्र के बारे में|

    गायत्री मंत्र को मंत्रों में सबसे श्रेष्ठ मंत्र कहा गया है|

    ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद में गायत्री मंत्र की चर्चा है और अथर्व वेद में इस मंत्र की महिमा की चर्चा है|

    गायत्री मंत्र जप के लिए कहा जाता है कि इसका जप भागवत पाठ के बराबर होता है|

    विश्वामित्र जैसे ऋषि गायत्री का जप अनुष्ठान करते करते नवीन सृष्टि की रचना करने का शक्ति प्राप्त कर लेते हैं|

    ‘ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।‘

    हालाँकि गायत्री मंत्र में ‘गायत्री’ का उच्चारण कहीं नहीं है, तो फिर इसे ‘गायत्री मंत्र’ क्यों कहा गया?हर मंत्र के रचने का एक पूरा विज्ञान होता है| एक स्केल होता है| जिस स्केल पर इस चौबीस अक्षरीय मंत्र को बनाया गया उस स्केल का नाम है गायत्री और इसी से इसको गायत्री मंत्र कहा जाने लगा|

    गायत्री पंचमुखी है,इसके पांच मुख हैं और इसके पांचों मुख निम्नांकित हैं-

    1- ॐ

    2- भूर्भुवः स्वः

    3- तत्सवितुर्वरेण्यं

    4- भर्गो देवस्य धीमहि

    5- धियो यो नः प्रचोदयात्

    इन पांचो के बारे में थोड़ा और जानें|

    1 – ॐ

    ॐ से ही सबकुछ प्रकट हुआ है| नाद, स्वर और लय| लय है तो शरीर है | स्वर के द्वारा शरीर का लय स्थापित करने में पंच प्राणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है|  प्राण, व्यान, समान, अपान और उदान| प्राण वायु के द्वारा स्वास, प्रस्वास की क्रिया, व्यान वायु के द्वारा शरीर में रक्त सञ्चालन की क्रिया, समान वायु के द्वारा शरीर में पाचन प्रक्रिया और उदान वायु के द्वारा मृत्यु के समय स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर को पृथक करने की क्रिया का संपादन होता है|

    ओंकार प्रणव – अ ऊ म के द्वारा,  सबसे कम ध्वनि तरंग से मध्यम ध्वनि तरंग और फिर सबसे तीव्र ध्वनि तरंग के माध्यम से इन पंच प्राणों को साधकर शरीर का लय स्थापित करने में मदद करता है|

    शरीर का लय तो स्थापित हो गया अब आगे क्या?

    2-भूर्भुवः स्वः

    भू – भूलोक, पृथ्वी लोक,

    भुवः – वायु लोक

    स्वः – सूर्य लोक

    शरीर को साधने के बाद हम लोक के साथ लय स्थापित करते हैं| अग्नि के माध्यम  से पृथ्वी लोक, वायु के माध्यम  से वायु लोक और सूर्य के माध्यम  से सूर्य लोक के साथ हमारा एकात्म स्थापित होता है|

    3- तत्सवितुर्वरेण्यं    4- भर्गो देवस्य धीमहि      5- धियो यो नः प्रचोदयात्

    सविता- सूर्य भी और समस्त जगत की प्रसविता भी

    वरेण्यं – श्रेष्ठ, वरणीय|

    भर्ग- तेज

    देवस्य- देव् का

    धीमहि- हम ध्यान कर रहे हैं|

    धियो- बुद्धि

    न – हमारी

    प्रचोदयात- प्रकाशित करो|

    हमारी बुद्धि को जो प्रकाशित करे वैसे श्रेष्ठ वरणीय सूर्य का हम ध्यान करें| हमारी बुद्धि कुशाग्र हो|

    बुद्धि जब तक  प्रकाशवंत नहीं होगी तब तक कुशाग्र नहीं होगी| इसको प्रकाशवंत बनाने के लिए शरीर के प्रत्येक अवयवों के साथ इसका लय स्थापित किया जाता है|

    लय स्थापित करने के लिए शरीर के चौबीस अवयवों में इस मंत्र के चौबीसों अक्षर की स्थापना की जाती है| वे चौबीस अवयव हैं-

    पंचभूत, पंच तन्मात्रा, पंच कर्मेन्द्रियाँ, पंच ज्ञानेन्द्रियाँ और अंतःकरण चतुष्ट्य|

    (5 + 5 + 5 + 5 + 4 = 24)

    शरीर का प्रत्येक अवयब जब सकारात्मक ऊर्जा से युक्त हो जायेगा और इस ऊर्जा से युक्त शरीर जब प्रकृति और अन्य लोकों से सम्बन्ध साधकर कोई भी काम करेगा तो मनोबांछितफल की प्राप्ति होगी|

     मंत्र पाठ समुचित विधि के साथ ही करें|

    बहुत से लोग मंत्र में भरोसा करते हैं, मंत्र से प्राप्त होने वाले फल पर भरोसा करते हैं लेकिन मंत्र जप के सही विधि पर भरोसा नहीं करते| गलत मंत्रोच्चार विधि का परिणाम हम सब देख रहे हैं| विक्षिप्त लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है| मंत्र जप करने वाले मंत्र जप से लाभान्वित हो सकें और इससे होने वाली हानि से बच सकें इसके लिए विधि पूर्वक ही मंत्र पाठ किया जाना चाहिए|

    एक बात और ध्यान रखने की है कि नव दिवसीय जप अनुष्ठान में पूजन सामग्री की शुद्धता बनी रहे| हवन सामग्री,नवग्रह समिधा , घी गुग्गल के नाम  कुछ भी उठाकर बाजार से न ले आएं|

    प्रकृति के रीत के अनुसार प्रत्येक ऊर्जा के लिए रंग, गंध, विधि  सामग्री निर्धारित होती है|

    नकली वस्तुओं का प्रयोग जहाँ अनुष्ठान को बाधित करेंगे वहीं असली, शुद्ध सामग्री का प्रयोग प्राकृतिक ऊर्जा की एक सुनिश्चित आवृति  के साथ हमारा लय स्थापित करनेवाले होंगे|एकात्म स्थापित करेगा|

    तो आइये इस नवरात्र शुद्ध सात्विक मन से, शुद्ध सामग्री का प्रयोग करके महाशक्ति का आवाहन  करें| उनकी आराधना करें| गायत्री मंत्र के जप से उस शक्ति के साथ लय स्थापित करें| एकात्म स्थापित करें|स्वयं के भीतर की शक्तिको जागृत करें|माँ का आना शुभकारी हो! कल्याणकारी हो!

    Navratri @बी कृष्णा नारायण

    Follow on Google News Follow on Facebook Follow on X (Twitter) Follow on YouTube Follow on WhatsApp
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email Telegram WhatsApp Copy Link

    Keep Reading

    दिल्ली से दो जासूस अरेस्ट, PAK को भेजते थे खुफिया जानकारी

    अजान की आवाज से सिर दर्द होता है… बोले BJP विधायक बालमुकुंद आचार्य

    Teddy Day : अपने हाथों से टेडी बनाकर पार्टनर को करें गिफ्ट, इन ट्रिक्स को आजमाएं

    महिला, यूथ, गरीब, किसान, बजट 2025 के बन सकते ‘रोटी, कपड़ा और मकान’

    यहां छिपा है माउंट एवरेस्ट से भी 100 गुना ऊंचा पर्वत, कैसे हुआ खुलासा?

    अगर कांग्रेस में शामिल हुई विनेश फोगाट, तो हरियाणा की राजनीति पर क्या पड़ेगा असर? 

    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube

    राज्य -  दिल्ली    उत्तर प्रदेश    उत्तराखण्ड    मध्य प्रदेश    छत्तीसगढ़    हिमांचल प्रदेश    पंजाब    झारखण्ड    बिहार   राजस्थान    हरियाणा

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.