बहुत सारे व्यक्ति यह सोच कर भयाक्रांत होते हैं कि Saturn half century (शनि की साढ़ेसाती) शुरू होने वाली है| इसके अनिष्टकारी प्रभाव से कैसे बचा जाये यह जानना चाहते है|आइए यहाँ ज्योतिष के नजरिये से यह देखने की कोशिश करें कि शनि की साढ़ेसाती कितना घातक है या कितना सुखप्रद है|
क्या है शनि की साढ़ेसाती (Saturn half century)
सामान्यतया ऐसा बता दिया जाता है कि जन्मकालीन चन्द्रमा से एक राशि पहले जब शनि का संचरण शुरू होता है तो साढ़े साती की शुरुआत होती है| जन्मकालीन चन्द्रमा से एक राशि आगे तक शनि के संचरण तक शनि की साढ़े साती मानी जाती है| लेकिन इसमें थोड़ा सुधार किये जाने की आवश्यकता है, और वह यह कि जन्म कालीन चन्द्रमा से 45 डिग्री आगे या 45 डिग्री पीछे जब गोचरीय शनि का संचार होता है तब व्यक्ति की साढ़े साती चल रही होती है|साढ़े साती, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, साढ़े सात वर्षों की होती है| साढ़े सात वर्ष के शनि के संचार को एक उदहारण के द्वारा विस्तार से समझें –
शनि का संचार अभी मकर राशि से हो रहा है|
सामान्यतया यह समझा जाता है कि इस संचार की वजह से धनु, मकर और कुम्भ राशि वाले व्यक्तियों की साढ़े साती चल रही है मतलब विश्व में धनु, मकर और कुम्भ राशि के व्यक्ति अभी शनि की साढ़े साती के प्रभाव में हैं|लेकिन टेक्नीकली इसे देखने के लिए चंद्र की जन्मकालीन डिग्री के साथ गोचरीय शनि की डिग्री को मिलाकर देखा जाना चाहिए| जैसा की मैंने ऊपर लिखा है 45 डिग्री आगे या पीछे| डिग्री के अनुसार देखने से सही अनुमान हो जायेगा की क्या कुछ वृश्चिक राशि वाले व्यक्ति या कुम्भ राशि वाले व्यक्ति भी साढ़े साती के प्रभाव में हैं| जब तक इस तरह से नहीं देखेंगे तब तक गलत आकलन करते रहेंगे|
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साढ़े साती का प्रभाव : शुभ या अशुभ
ऐसा नहीं है कि साढ़ेसाती शुरू हो गयी तो अशुभ प्रभाव ही होगा| शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल परिलक्षित होंगे|अशुभ कब होगा इसे रामचरितमानस के एक प्रसंग से समझा जाये|
‘अवध साढ़सति तब बोली‘ (अयोध्याकाण्ड) – मंथरा के लिए तुलसी बाबा ने यह कहा है|
‘कैकयी करतब राहु’ (अयोध्याकाण्ड) – कैकेयी के करतब रूप राहु कहा तुलसी बाबा ने|
‘तसि मति फिरी अहइ जसि भाबी’
लेकिन इसके साथ ही तुलसी बाबा यह भी लिखते हैं-
‘भयउ कौसिलहि बिधि अति दाहिन| देखत गरब रहत उर नाहिन|’
कौशल्या के लिए विधाता आज दाहिना हो गया है| उसका भाग्य खुल गया है|कौशल्या का यह गर्व कैकयी को असहज कर रहा है| यह जो कमजोरी है कैकयी की, इससे मंथरा भली भांति परिचित है|जिसकी राहु की दशा भी चले और चित्त मलिन हो, मतलब चंद्र और बुध अशुभ प्रभाव में हों, ऐसे में मति फिर जाता है|शनि की साढ़ेसाती हो राहु की दशा हो और चित्त मलिन हो, तो ऐसी साढ़ेसाती परेशानी लेकर आती है|अगर ऐसा है तो साढ़ेसाती का उस व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा|(saturn half century) यह प्रतिकूलता कैसी होगी यह कुंडली में इन ग्रहों के प्रभाव में आने वाले भाव को देख कर आसानी से समझा जा सकता है|
चंद्र के साथ शनि के संबंध का आकलन
नवग्रहों में चंद्र सबसे तेज गति चलने वाला ग्रह है और शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है| इसकी वजह से थोड़ी कशमकश की स्थिति व्याप्त हो जाने की संभावना रहती है| अवसाद की मनःस्थिति हो सकती है| चंद्र के साथ शनि के संबंध का आकलन सूक्ष्मता से किया जाना चाहिए|
मकर राशि में शनि के गोचर के समय, शनि तीन नक्षत्रों से होकर गुजरेगा; उत्तर आषाढ़, श्रवण और धनिष्ठा|
उत्तर आषाढ़ सूर्य का नक्षत्र है|श्रवण चंद्र का नक्षत्र है और,धनिष्ठा मंगल का नक्षत्र है|मकर राशि में उत्तर आषाढ़ नक्षत्र के तीन चरण, श्रवण नक्षत्र के चार चरण और धनिष्ठा नक्षत्र के दो चरण से शनि का संचर होगा|
उत्तर आषाढ़ नक्षत्र से शनि का जब संचरण होगा तो यह सूर्य के नक्षत्र से गुजरेगा| तो हमें जन्म कुंडली में सूर्य और शनि के आपसी संबंधों की जांच करनी चाहिए कि ये दोनों एक दूसरे से किस भाव में अवस्थित हैं|
अगर इनकी स्थिति आपस में एक दूसरे से शुभ भावों में है और शुभ ग्रहों का प्रभाव भी है तो इनका व्यक्ति के जीवन में शुभ प्रभाव होगा| इसके विपरीत होने से प्रतिकूल प्रभाव होगा|
ठीक इसी प्रकार से चंद्र के नक्षत्र और मंगल के नक्षत्रों से गोचर के समय इन दोनों ग्रहों की शनि के साथ का सम्बन्ध जन्मकालीन कुंडली में देखा जाना चाहिए और तत्पश्चात शुभ, अशुभ फलादेश करनी चाहिए|
इस प्रकार से हर एक व्यक्ति जो शनि की साढ़े साती के प्रभाव में हैं अपनी अपनी कुंडली और गोचरीय शनि के आकलन से अनुकूल प्रभाव या प्रतिकूल प्रभाव को जान सकते हैं|
इसी प्रकार से हर एक का सूक्ष्मता से विश्लेषण कर के हम यह जान सकते हैं कि जिसको हम अनिष्ट लेकर आने वाला मान रहे हैं, मुसीबत को लेकर आने वाला मान रहे हैं, वास्तव में तो यह तरक्की, सुख, ख़ुशी को लेकर आने वाला है| इस प्रकार से आकलन करके प्रत्येक व्यक्ति यह जान सकते हैं शनि की साढ़े साती उनके लिए कितना घातक होगा या कितना सुखद होगा|
सबसे महत्वपूर्ण बात
हर समय बारह राशियों में से तीन राशि साढ़े साती के प्रभाव में रहेगी ही रहेगी| तो इसका अर्थ यह हुआ कि विश्व की एक तिहाई आबादी इस प्रभाव में हर वक़्त रहेगी| और जिस प्रकार से कुछ तथाकथित ज्योतिषी इनको लेकर लोगों को डराते हैं तो विश्व की एक तिहाई आबादी तो तबाह हो जाएगी| कोरोना संक्रमण के इस समय में जहाँ सम्पूर्ण विश्व एक उम्मीद की किरण का बाट जोह रहा है वहां इस तरह के विचार परोसकर भ्रम और भय की स्थिति बनाना कहाँ तक उचित है? इसीलिए हम सब ज्योतिष को स्वयं जानें|
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Saturn Half Century – एक छोटी सी सफर पर हमलोग निकलते हैं तो अपनी अपनी गाड़ी में GPS का इस्तेमाल करते हैं| GPS का इस्तेमाल इसीलिए करते हैं न कि मार्ग सुगम हो जाए| तो फिर जीवन की यात्रा में मार्ग की सुगमता के लिए हम GPS का इस्तेमाल क्यों नहीं करते? ज्योतिष का इस्तेमाल क्यों नहीं करते?
हम सब ज्योतिष { जीवन का GPS} को अपनाएं और ग्रहों के अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव की स्वयं विवेचना करें| इतना अमोल जीवन ईश्वर ने हमें प्रदान किया है इसको चलाने का जिम्मा हम भ्रम और भटकावकारी तत्वों के हाथ में क्यों दें?
इसीलिए जीवन के GPS को धारण करें, परिवर्तित हों, रूपांतरित हों, आनंदित हों|