हर इंसान की ज़िंदगी मे सफलता–विफलता, खोना – पाना, सुख–दुख के दौर आते जाते रहते है| कई लोग इसका डट कर सामना करते है तो कई घबराकर हार मान लेते है| एग्जाम्स के समय देखा जा सकता है कि किस तरह से बच्चे तनाव से जूझते है और उनके दिमाग मे तरह-तरह के नकरात्मक विचार आते है| कमजोर दिल वाले बच्चो मे आत्महत्या जैसे विचार भी देखे जा सकते है| कई लोग छोटी सी बीमारी मे हार मान लेते है तो कई इन मुश्किल परिस्थितयो मे भी अपना कंट्रोल नहीं खोते|
ऐसा क्यो होता है की एक ही परिस्थिति मे दो लोग अलग-अलग तरीके से रियेक्ट करते है? विज्ञान के अनुसार ऐसा इंसान के इम्यून सिस्टम की वजह से होता है| कमजोर हृदय वाले लोगो का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है जिसकी वजह से ऐसे लोग टेंशन, बीमारी और दूसरी परिस्थितियो मे जल्दी घबरा जाते है|
ऐसे लोगो के लिए सबसे बड़ा इलाज है मैडिटेशन| मैडिटेशन यानी की ध्यान सिर्फ अध्यात्म से ही नहीं विज्ञान से भी जुड़ा है| वैज्ञानिक शोधों (रिसर्च) के जरिये इन बातों की पुष्टि हुई है कि रोज़ाना मेडिटेशन करने वाले लोगो का इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है और साथ-साथ स्वास्थ्य बेहतर रहता है और याद्दाश्त बढ़ती है| आज हम आपको बताएंगे मैडिटेशन फ़ॉर बिगिनर्स और ये टिप्स रहेंगे बेहद असरदार|
आईये जानते है आखिर है क्या मैडिटेशन :-
मैडिटेशन का मतलब होता है इनर वॉइस (अंतरात्मा की आवाज़)| आपको ये बात पता होगी की हमारे अंदर एक शांत मनुष्य होता है जिससे हम आत्मा या अंतरात्मा कहते है और शायद इसलिए ये बोला जाता है कि हम मनुष्य ईश्वर का एक अंश है| वैज्ञानिकों ने भी ये माना है कि अंतरात्मा की आवाज़ होती है और ये बात किसी भी धर्म विशेष से सम्बंधित नहीं है|
खुश रहने का सीधा सा तरीका ये है कि हम हमेशा अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुने क्योंकि हमारी अंतरात्मा हमेशा हर परिस्थिति में हमें सुझाव देती है| जो लोग अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को अनसुना कर देते है, तब उनकी अंतरात्मा की आवाज़ कमजोर हो जाती है या फिर उनका उससे संपर्क टूट जाता है| वो हमेशा दुखी रहते है और गलत काम में उनका ध्यान ज्यादा जाता है| जिससे तनाव उन लोगों का हमसफर बन जाता है|
जब हम ऐसी परिस्थितियों में पड़ जाते है तब हमे स्वयं को वापस अपनी अंतरात्मा के साथ जोड़ना होता है और इसका सबसे अच्छा और फायदेमंद तरीका है मैडिटेशन या ध्यान|
मैडिटेशन टिप्स फ़ॉर बिगिनर्स : आईये जानते है कैसे करते है मैडिटेशन :-
पहले हम उन लोगों की बात करते है जो अभी मैडिटेशन की शुरुआत कर रहे हैं| उन लोगो को बताते है की उनको किन-किन चीजों का ध्यान रखना है:-
सही समय को चुने:- सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि आप वह समय चुनें जो आपके लिए सुविधाजनक हो| आपको सलाह दी जाती है कि आपको यह सुबह जल्दी करना चाहिए| इस समय हर चीज़ शांत और शांतिपूर्ण होता है| वास्तव में सुबह के समय मौसम हमेशा खुशनुमा होता है|
शांति वाली जगह का चुनाव करें:- सुविधाजनक समय के साथ सुविधाजनक स्थान को चुने जहां आप को कोई परेशान न कर सके| शांत और शांतिपूर्ण वातावरण ध्यान के अनुभव को और अधिक आनंदमय और विश्रामदायक बनाता है|
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पेट को खाली रखें:- पेट भरा होने पर आप मेडिटेशन नहीं कर सकते| इस प्रकार मेडिटेशन करने से कोई फ़ायदा नहीं होता| यदि आप खाना खाने के बाद मेडिटेशन करते हैं तो आप वास्तव में बीच में सो जाते हैं| खाना खाने के बाद ज़बरदस्ती मेडिटेशन न करें| दोपहर या रात के खाने के दो घंटे बाद का समय मेडिटेशन के लिए सबसे अच्छा होता है|
आराम से बैठे:- ध्यान के समय सुखद और स्थिर बैठना बहुत आवश्यक है| आप ध्यान करते समय सीधे बैठें और रीड की हड्डी सीधी रखे, अपने कंधे और गर्दन को विश्राम दे और पूरी प्रक्रिया के दौरान आँखे बंद ही रखें| ध्यान करते समय आप आराम से चौकड़ी मार कर (आलती-पालती) बैठ सकते हैं, पद्मासन में बैठने की आव्यशकता नही है|
मैडिटेशन के लिए खुद को तैयार करें:- सबसे पहले तो जूते न पहनें| केवल ढीले-ढाले कपड़े पहनें| टाइट कपड़ों (कसे हुए कपड़े) में आप अच्छी तरह से सांस नहीं ले पाएंगे| एक मैट (चटाई) लें तथा इसे ज़मीन पर बिछा दें| शांति से बैठें तथा अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें, पालथी मारकर बैठें|
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मैडिटेशन करते वक़्त अपने चहरे पर मुस्कान बनाए रखें:- अपने चेहरे पर सौम्य मुस्कान लाने से आप अपने आप में फर्क महसूस करेंगे| एक निरंतर सौम्य मुस्कान से आप आराम औए शांति महसूस करेंगे और यह आपके ध्यान के अनुभव को बढ़ाता है|
अंत में धीरे-धीरे आँखें खोलें:- जैसे आप ध्यान के अंत में पहुंचे तो अपनी आँखों को खोलने में जल्दी न करें| आँखे खोलने पर मन बाहरी चीजों की तरफ भागने लगता है, इसलिए ध्यान के पश्च्यात आँखे धीरे धीरे खोले| अपने प्रति और वातावरण के प्रति सजग होने के लिये समय लें|
मैडिटेशन करना कोई मुश्किल काम नहीं है और सही तरीका आज़माने से कोई भी इसे कर सकता है| यहाँ बताये गए मैडिटेशन टिप्स न सिर्फ बिगिनर्स के लिए बल्कि उन लोगों के लिए भी असरदार होंगे जो पहले से ही इस ध्यान क्रिया का ज्ञान रखते हैं|
आईये जानते है मैडिटेशन आपको ईश्वर से कैसे जोड़ता है:-
जब हम रोजाना मैडिटेशन करते है तब हमें अद्भुत अनुभव होने लगते है जिसे शब्दों द्वारा नहीं बताया जा सकता| हमें उन सवालों के जवाब मिलने लगते है जो अभी तक अनसुलझे थे| हमें ऐसा लगता है जैसे हमारे साथ एक शक्ति है जो हमेशा हमारी मदद करेगी|
ईश्वर से जुड़ने से पहले हमें अपनी अंतरात्मा से जुड़ना होता है या यूं कहें कि जब हम अपनी अंतरात्मा से जुड़ जाते है तो उस अद्भुत ईश्वरीय शक्ति से स्वत: ही जुड़ जाते है और मैडिटेशन हमें अपनी अंतरात्मा से जोड़ता है|
निष्कर्ष:-
यदि आप जीवन में उत्साह की कमी महसूस कर रहे हैं और आपकी भावनात्मक समस्याएं आपके काम पर असर डाल रही हैं तो आपको ध्यान अवश्य करना चाहिए| आपके दैनिक जीवन की समस्याओं को सँभालने के लिए ध्यान बहुत आवश्यक है|
मैडिटेशन मन की एक सहज अवस्था है जिससे हमारे भीतर का खालीपन दूर होता है| यह हमारी जिंदगी को बदल देता है जिससे हम भौतिक वस्तुओं में खुशियाँ ढूँढना छोड़कर खुश रहना सीख जाते है| हमारे जीवन का हर पल खुशनुमा हो जाता है और हम वर्तमान में जीना सीख जाते है|
ये कुछ ऐसे मैडिटेशन टिप्स हैं जो न सिर्फ बिगिनर्स के लिए मददगार होंगे बल्कि किसी भी तरह की मानसिक व्यथा से बाहर निकालने का काम करेंगे| जब हमारा मन शांत एंव संतुष्ट होता है तो हमारा कंसंट्रेशन बढता है जिससे हम समस्याओं को बेहतर तरीके से हल कर पाते है और उन्ही समस्याओं में हमें संभावनाएं दिखने लगती है|
Image Source : events.cornell.edu