LCA Tejas Fighter Jet : भारत आज दुनिया में सबसे ज़्यादा हथियार खरदीने वालों की सुची में जरूर आता है. लेकिन पिछले कुछ समय से अब भारत की कोशिश दुनिया के हथियार बेचने वाले देशों में शामिल होने की है.
यह बात शनिवार (25 नवंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की साइट पर हल्के लड़ाकू विमान तेजस एयरक्राफ्ट में उड़ान भरने के बाद अपने अनुभव को साझा करते हुए कही थी.
तेजस पूरी दुनिया में धूम मचा रहा है. अमेरिका समेत दुनिया के कई बड़े देशों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है. ये एक लड़ाकू विमान है जो किसी भी परिस्थिति में अपने काम को बखूबी अंजाम दे सकता है.
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क्या है LCA Tejas Fighter Jet की खासियत
- हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों मामलों में हमला करने में तेजस कारगर है.
- तेजस हर तरह के मौसम में काम करने में पूरी तरह से सक्षम है.
- तेजस विमान 8 से 9 टन लोड लेकर उड़ान भरने में सक्षम है.
- तेजस विमान की सबसे बड़ी खासियत इसकी स्पीड है. 52 हजार फीट की ऊंचाई पर यह मैक 1.6 से 1.8 तक की स्पीड से उड़ान भर सकता है.
- तेजस में कई आधुनिक उपकरण लगे हुए हैं, जिनमें रडार भी शामिल है. इस वजह से तेजस एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक कर उनपर निशाना साधने में सक्षम है.
- हवा में ही इसमें ईंधन भरा जा सकता है और यह दुश्मन देश के रडार को चकमा देने की भी ताकत रखता है.
- इस विमान के 50% कलपुर्जे यानी मशीनरी भारत में ही तैयार हुई है.
- बेहद कम जगह यानी 460 मीटर के रनवे पर टैकऑफ करने की क्षमता.
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स्पीड का सौदागर है LCA Tejas Fighter Jet
तेजस को एल्युमीनियम, लीथियम एलॉय, कार्बन फाइबर कंपोजिट्स और टाइटेनियम एलॉय स्टील से बनाया गया है. इस वजह से तेजस दूसरे लड़ाकू विमानों की तुलना में काफी हल्का है. इसका वजन केवल 6560 किलोग्राम है.
तेजस की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसके 50 फीसदी कलपुर्जे भारत में बने हैं. फरवरी 2019 में इसे एयरफोर्स में शामिल किया गया. साथ ही इसे लैडिंग और टेक ऑफ के लिए कम जगह की जरूरत पड़ती है. इस खूबियों की वजह से इसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है.
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अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था नाम
इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में हल्के फाइटर विमान यानी एलसीए को शामिल करने की तैयारी 1983 में ही शुरू हो गई थी. मकसद था रूसी फाइटर मिग-21 के विकल्प में नया फाइटर जेट तैयार करना और देश में हल्का फाइटर जेट बनाना.
करीब 18 साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार जनवरी 2001 में इसने पहली बार उड़ान भरी. उस समय देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. साल 2003 में वाजपेयी ने ही एलसीए को ‘तेजस’ नाम दिया था. तब उन्होंने कहा था कि ये संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब ‘चमक’ है.