उत्तर प्रदेश के बरेली में चर्च और मिशनरीज की अरबों रुपये की संपत्ति हड़पने के मामले में कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है. लगभग 12 साल से फरार चल रहे आरोपियों की जमानत (sold churches and missionaries land) रद्द करते हुए कोर्ट ने खुद संज्ञान लेकर मुकदमा शुरू किया है. आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों से जमानत प्राप्त की थी, जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया. पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि आरोपी खुलेआम घूमते रहे. इस मामले में लगभग 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति की बात सामने आई है.
दरअसल, 2012 में अरुण थॉमस ने कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी सुनील के मसीह, आनंद सैमसन, विलियम दिलावर और एलिया प्रदीप सैमुअल ने मैथोडिस्ट चर्च की कीमती जमीन खुर्दबुर्द कर दी है. कोर्ट ने सभी आरोपियों को भगोड़ा घोषित किया और NBW जारी किया गया, लेकिन पुलिस ने लगभग 12 साल तक कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि, आरोपी थाने और चौकी के सामने ही रहते थे.
2024 में आरोपियों ने कोर्ट में फर्जी दस्तावेजों के सहारे जमानत हासिल कर ली. इस पर पीड़ित अरुण थॉमस ने वकील उपदेश कुमार गुप्ता के माध्यम से कोर्ट में बेल रद्द करने की अर्जी दी. 24 अप्रैल 2025 को जिला जज सुधीर कुमार पंचम ने पाया कि कोर्ट को गुमराह किया गया और जमानत रद्द कर दी. साथ ही BNSS की धारा 379 के तहत स्वत संज्ञान लेकर मुकदमा चलाने का आदेश भी दिया.
sold churches and missionaries land – 29 अप्रैल को कोर्ट ने फिर से सभी आरोपियों सुनील के मसीह, आनंद सैमसन, विलियम दिलावर और एलिया प्रदीप सैमुअल के खिलाफ NBW जारी कर दिए. अब कोर्ट इस मामले में खुद वादी बनकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा. पादरी अलबर्ट बेंजामिन ने दावा किया कि सुनील मसीह गैंग ने लगभग 20 हजार मिलियन यानी 2,000 करोड़ रुपये की मिशनरीज संपत्ति बेच दी.