High Court said Order of termination of service of BSF jawan who failed to complete basic training is unfair

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।
– फोटो : अमर उजाला

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सीमा सुरक्षा बल (BSF) की सेवा से बाहर किए गए जवान की याचिका को मंजूर करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उसकी सेवा समाप्ति के 2014 के आदेश को अनुचित करार देते हुए रद्द कर दिया है। बीमारी के कारण बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने में नाकाम रहने पर यह आदेश जारी किया गया था।

याचिका दाखिल करते हुए अमरनाथ ने हाईकोर्ट को बताया था कि उसका चयन बीएसएफ में अप्रैल 2011 में हुआ था। इसक बाद उसे होशियारपुर के ट्रेनिंग सेंटर में भेज कंपनी अलॉट कर दी गई थी। सितंबर 2011 में ही वह बीमार हो गया और मई 2012 तक पीजीआई चंडीगढ़ में उसके बुखार का इलाज चला। इसके बाद पीजीआई ने उसे नौकरी के लिए फिट होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

बीएसएफ ने इसे अस्वीकार करते हुए जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के समक्ष याची को पेश होने को कहा। मेडिकल बोर्ड ने याची को बुनियादी भर्ती प्रशिक्षण के लिए अयोग्य करार देते हुए आगे बनाए रखने के लिए अनुपयुक्त बताया। समीक्षा मेडिकल बोर्ड ने दोबारा की गई जांच में भी याची को बुनियादी प्रशिक्षण के लिए अयोग्य घोषित कर दिया।

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि भले ही मेडिकल बोर्ड की राय के अनुसार याची बुनियादी प्रशिक्षण के लिए अयोग्य है लेकिन भर्ती के समय वह पूरी तरह से योग्य था। भर्ती होने के बाद वह बीमार हुआ और इस स्थिति के चलते वह प्रशिक्षण पूरा नहीं कर सकता। 

कोर्ट ने कहा कि सेवा के दौरान कोई भी व्यक्ति आवाजाही के दौरान दुर्घटना, उग्रवादियों द्वारा हमला आदि के कारण बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने में अक्षम हो सकता है। ऐसी परिस्थितियों में जिस व्यक्ति ने भर्ती के समय सभी आवश्यक मापदंडों को पूरा किया है, उसे बाहर नहीं कर दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए बीएसएफ अथॉरिटी को याची को कांस्टेबल के अलावा किसी अन्य पद पर नियुक्त करने पर सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार करने का आदेश दिया है।

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