हैदराबाद : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जहां दुनिया अपनी मंजिल पर विचार किए बिना आगे बढ़ रही है, वहीं भारत ने हमेशा एकता और अखंडता के गहरे सत्य पर विचार किया है। ‘लोकमंथन भाग्यनगर 2024’ में बोलते हुए, आरएसएस प्रमुख ने भारत की ‘धर्म’ और जीवन के (Bhagwat On Unity And Integrity) निर्माण की शाश्वत अवधारणाओं पर अपने विचार रखे।

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Bhagwat On Unity And Integrity – भागवत ने कहा, हमारे पूर्वज अस्तित्व की एकता की सच्चाई जानते थे,वे समझते थे कि यही सब कुछ है इसलिए विविधता है। यह कुछ समय तक चलती है, फिर केवल एकता रह जाती है। एकता शाश्वत है और विविधता में भी एकता है, अगर हम इसे तलाशने की कोशिश करें।” उन्होंने कहा, “उन लोगों को जवाब देने की कोई आवश्यकता नहीं है जिनके प्रयोग पिछले 2,000 वर्षों में विफल रहे हैं। हमारा ध्यान अपने लोगों का मार्गदर्शन करने पर होना चाहिए, जो झूठे आख्यानों में उलझे हुए हैं। वैश्विक मंच पर हम अपने पूर्व निर्धारित मापदंडों और अपने अनूठे तरीके से खेलेंगे।

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आरएसएस प्रमुख ने लोकमंथन पहल को ग्रामीण भारत तक ले जाने का आह्वान किया तथा गांवों में छोटी-छोटी सभाएं आयोजित कर जमीनी स्तर के लोगों को जोड़ने की अपील की। उन्होंने कहा, “हमारे मन की आवाज़ कहती है कि इस दुनिया में हम किसी के दुश्मन नहीं हैं और कोई हमारा दुश्मन नहीं है। हालांकि यह ठीक है,कोई आक्रामक है, कोई हम पर हमला करता है या हमें नुकसान पहुंचाता है, तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे, लेकिन हम उसका जवाब भी देंगे…लेकिन हम किसी से लड़ाई नहीं करते हैं।”

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