Advertisement

प्रभु के उत्सव में शामिल होना मानव का सौभाग्य – देवी ममता,विशाल कलश यात्रा के साथ भागवत कथा शुरू

0
50
bhagwat katha

राजस्थान:नागौर। डिडवानिया (दर्जी) परिवार द्वारा अपने पूर्वजों की पुण्य स्मृति में विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, नागौर में आयोजित पीड़ित गोवंश हितार्थ सप्त दिवसीय विशाल भागवत कथा (bhagwat katha)  का शुभारम्भ आज विशाल कलश यात्रा के साथ हुआ जिसमें 11 महिलाओं ने कलश धारण किये। कथा प्रभारी श्रवण सैन ने बताया कि कथा में सुन्दर व विशाल कलश यात्रा निकाली जो भैंरूजी के थान से प्रारम्भ होकर कथा स्थल तक पहुंची। जिसमें श्रद्धालु व महिलाएं रंग बिरंगे परिधानों में सजधज कर सिर पर कलश धारण कर मंगल गीत गाते हुए डीजे पर ‘‘वारी जाऊं रे बलिहारी जाऊं रे’ व ‘राधे-राधे बोल’ भजनो पर नृत्य करते हुए कलश यात्रा निकाली। भक्तों पर खुले आकाश से ड्रोन द्वारा जगह-जगह पुष्पवर्शा से स्वागत किया गया तो दूसरे ड्रोन कैमरे से कलश यात्रा की वीडियो शूटिंग की।

इसे भी पढ़ें – महाशिवरात्रि पर स्वयं करें भगवान शिव को आमंत्रित

कथा वाचिका देवी ममता ने बताया कि भारतीय सभ्यता व संस्कृति को विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति होने का गौरव प्राप्त है, लेकिन बढ़ते पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण युवा गौरवशाली संस्कृति को भूलते जा रहे है, जिससे समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। प्रथम दिवस पर श्रद्धालुओं को भागवत कथा का प्रादुर्भाव, परीक्षित, शुकदेव का जन्म, नारद पूर्व जन्म, कुन्ती स्तुति के बारे में विस्तार से बताया। धुुंधकारी चरित्र पर प्रकाष डालते हुए कहा कि आत्मसात कर ले तो जीवन से सारी उलझने समाप्त हो जायेगी। देवीजी ने बताया की भागवत कथा के अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। श्रीमद् भागवत कथा (bhagwat katha)  एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप से मुक्त हो जाता है।

Bhagwat Katha – कथा में पण्डित पवन पाठक (आचार्य) ने बहुत ही सुन्दर मंच संचालन किया, वृंदावन की प्रसिद्ध संगीत मण्डली ने सुन्दर भजनों की प्रस्तुति दी एवं राजस्थान की प्रसिद्ध झांकी टीम द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की ज्ञान वैराग्य भक्ति व बाण शैय्या पर भीष्म पितामह की सुंदर मनमोहक सजीव झांकियों का प्रस्तुतिकरण किया गया। सांखला कलर लेब द्वारा बड़ी 8 गुणा 12 एल.ई.डी. टीवी एवं लाईव प्रसारण की व्यवस्था की गई।
कथा के दौरान महामण्डलेश्वर ने ‘संत व सेठ का प्रसंग’ सुनाते हुए बताया कि एक धनी सेठ ने एक संत से प्रार्थना की, महाराज, मैं आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए साधना करता हॅू पर मेरा मन एकाग्र ही नहीं हो पाता है। संत बोले, मैं कल तुम्हारें घर आऊंगा और एकाग्रता का मंत्र बताऊंगा। संत सेठ की हवेली पर पधारे जब सेठ ने उनका खूब स्वागत सत्कार किया। सेठ की पत्नी ने मेवों व शुद्व घी से स्वादिष्ट हलवा तैयार किये चांदी के बर्तन में हलवा सजाकर संत को दिया गया तो संत ने अपना कमंडल आगे कर दिया और बोले, यह हलवा इस कमंडल में डाल दो। सेठ ने देखा कि कमंडल में कूड़ा-करकट भरा हुआ है। सेठ नेे संकोच के साथ कहा, महाराज, यह हलवा मैं इसमें कैसे डाल सकता हूं। कमंडल में तो यह सब भरा हुआ है। संत मुस्कुराते हुए बोले, वत्स तुम ठीक कहते हो।

इसे भी पढ़ें – अमूल के बाद मदर डेयरी ने भी बढ़ाये दूध के दाम,छह मार्च से प्रभावी होंगी बढ़ी हुई कीमतें

जिस तरह कमंडल में कूड़ा करकट भरा है, उसी तरह तुम्हारे दिमाग में भी बहुत सी ऐसी चीजें भरी है जो आत्मज्ञान के मार्ग में बाधक है। सबसे पहले पात्रता विकसित करो, तभी तो आत्मज्ञान के योग्य बन पाओंगे। यदि मन-मस्तिष्क में विकार भरे रहेंगे तो कहां से आएगा आत्मज्ञान ? संत की बात सुनकर सेठ ने संकल्प लिया कि वह फालतु की बातों को मन मस्तिष्क से निकाल बाहर करेगा। प्रवचन देते हुए महामण्डलेश्वर ने कहा की संतों की सेवा सर्वश्रेष्ठ सेवा होती हैं, संतों का झूठा भोजन करने से मनोवांछित मनोकामना पूर्ण होती हैं, भारतीय संस्कृति के अनुसार सभी महिलाओं को नीचे से नीचे काम और उचे से उचे काम करना चाहिए महिलाओं को सुबह अपने घरों के आगे हमेशा साफ सफाई रखनी चाहिए जिससे परमात्मा की कृपा प्राप्त होती हैं इत्यादि जानाकारी दी।

महामण्डेलश्वर ने विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय से जुड़े हुए दानदाताओं का यू-ट्यूब के माध्यय के बताया की आगामी कथा विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय में जिन दानदाताओं ने 3 लाख रू. से अधिक सहयोग कर दिया आगामी कथा उनके निवास स्थान पर उनके क्षेत्र में आयोजित कि जायेगी, वह दानदाता देश के किसी भी राज्य में निवास करते हो। जो दानदाता नहीं वह भी कथा के सातवें दिन 3 लाख रू. का गोहितार्थ मायरा भरकर कथा करवा सकते हैं।