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    Home » ‘बूढ़ी दिवाली’ क्यों है इतनी खास? जानें भगवान राम और परशुराम से जुड़ी अनोखी मान्यता

    ‘बूढ़ी दिवाली’ क्यों है इतनी खास? जानें भगवान राम और परशुराम से जुड़ी अनोखी मान्यता

    October 23, 2025 धार्मिक 2 Mins Read
    why is Budhi Diwali so special
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    पूरे देश में दिवाली का उत्सव और उल्लास बीत चुका है, लेकिन देश का एक ऐसा राज्य है, जहां दिवाली के पर्व के एक माह बाद ‘बूढ़ी दिवाली’ मनाने की परंपरा है. इस राज्य का नाम है हिमाचल प्रदेश. ये प्रदेश (why is Budhi Diwali so special) अपनी समृद्ध लोक संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है. यहां बूढ़ी दिवाली के रूप में दिवाली एक अनोखा रूप नजर आता है.

    राज्य के सिरमौर जिले के शिलाई और कुल्लू जिले के निरमंड क्षेत्र में दिवाली के एक महीने बाद बूढ़ी दिवाली होती है. इस साल बूढ़ी दिवाली का त्योहार 20 नवंबर से शुरू होगा और तीन से चार दिन मनाया जाएगा, लेकिन हिमाचल प्रदेश में बूढ़ी दिवाली क्यों मनाई जाती है? आइए इसका कारण जानते हैं.

    इसे भी पढ़ें – भाई दूज 2025 : 3 राशियों के लिए महालाभ का योग! ग्रहों का दुर्लभ संयोग बनाएगा धन लाभ के रास्ते

    सिरमौर के शिलाई में ये मान्यता है कि जब लंकापति रावण का वध और 14 वर्षों का वनवास पूर्ण होने के बाद भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे तो सारे देश में ये खबर हो गई, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में भगवान राम के अयोध्या लौट आने की खबर देर से पहुंची. तभी यहां पर एक माह बाद दिवाली मनाई जाने लगी. इस शुभ मौके पर विवाहित बेटियों और रिश्तेदारों को घर बुलाया जाता है.

    why is Budhi Diwali so special – वहीं कुल्लू जिले के निरमंड क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली का संबंध भगवान परशुराम से जोड़ा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, यहां भगवान परशुराम ने एक असुर का वध किया था. इसके बाद लोगों ने मशालें जलाकर जश्न मनाया था. यहां हर साल बूढ़ी दिवाली पर मशाल यात्रा निकाली जाती है. साथ ही रस्साकशी और पारंपरिक लोकगीत आयोजित किए जाते हैं.

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