Uttarakhand Disaster Update: चमोली जिले की चीन सीमा से लगे रैणी और तपोवन में बचाव दलों को टनल में भरे मलबे के कारण भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। तपोवन जल विद्युत परियोजना की जिस टनल-2 में 35 लोग फंसे हैं, वह 250 मीटर लंबी और नौ मीटर ऊंची है। टनल के सौ मीटर हिस्से में मलबा घुसा है। टनल का इसके आगे का हिस्सा कुछ ऊंचा बताया जा रहा है। इसलिए अंदर फंसे लोगों के सुरक्षित होने की उम्मीद जताई जा रही है। बचाव दलों के सामने मुश्किल यह है कि, वह टनल के मुहाने से जितना मलबा हटा रहे हैं, उतना ही टनल के अंदर से मुहाने की तरफ आ रहा है। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि, बचाव दल टनल के अंदर 100 मीटर तक पहुंच चुके हैं। नौ राज्यों के हैं आपदा में लापता लोग : राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक आपदा में जो 197 लोग लापता हैं, वे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, यूपी, बिहार, मप्र, पश्चिमी बंगाल, पंजाब, आसाम व उड़ीसा के रहने वाले हैं। यह सभी लोग ऋषि गंगा और तपोवन बिजली परियोजना के मजदूर और कर्मचारी हैं। मुख्यमंत्री की अफसरों के साथ बैठक : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने सोमवार को आपदा के कारणों को लेकर अफसरों व विशेषज्ञों के साथ बैठक की। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि, सोमवार शाम तक जो बीस लोगों के शव बरामद किए गए हैं, उनसमें से दो की शिनाख्त हो चुकी है। इनमें एक देहरादून के डोईवाला और दूसरा स्थानीय गांव तपोवन का है। बाकी शवों की शिनाख्त के प्रयास किए जा रहे हैं।
ग्लेशियर टूटने से नहीं हिमस्खलन से हुई तबाही
Uttarakhand Disaster Update: चमोली जिले में तबाही ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में हुए हिमस्खलन की वजह से मची। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने सेटेलाइट डाटा के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। विशेषज्ञों के अनुसार इस क्षेत्र में हाल में गिरी बर्फ एक चोटी के हिस्से के साथ खिसक गई जिसने बड़े हिस्खलन का रूप ले लिया। इस वजह से लाखों मीट्रिक टन बर्फ और पहाड़ी का हिस्सा भरभराकर नीचे गिर गया, जिसने ऋषिगंगा घाटी में तबाही मचा दी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने सोमवार को बताया कि ऋषिगंगा में बाढ़ हिमस्खलन से आई। उन्होंने कहा, इसरो के निदेशक ने सेटेलाइज इमेज के आधार पर जानकारी दी है।
अमेरिकी उपग्रह से भी डेटा लिया गया आपदा के कारण जानने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने अमेरिका की निजी सैटेलाइट प्लेनेट लैब से भी तस्वीरें ली हैं। यूएसडीएमए के विशेषज्ञ गिरीश जोशी ने बताया कि यह सेटेलाइट हाल ही में इस क्षेत्र से गुजरा है।
Uttarakhand Disaster Update: ब्रिज बनाने की तैयारी रैणी गांव के पास स्थित जो मोटर पुल बह गया था, वहां बीआरओ वैली ब्रिज बनाने की तैयारी में जुट गया है। शिवालिक प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर एएस राठौर ने बताया कि, मौके पर मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया गया है। मौके से 100 मीटर आगे लोहे का वैलीब्रिज बनेगा।
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13 गांवों में हेलीकॉप्टर से बांट रहे मदद आपदा के दौरान रैण का मोटर पुल समेत जो झूला पुल बह गए थे, उससे सीमांत के 13 गांवों के लोग अलग थलग पड़ गए। सोमवार को हेलीकॉप्ट की मदद से इन गांवों में राहत और खाद्य सामग्री पहुंचाई गई।
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