UP Government ने प्रदेश में गेहूं की बम्पर खरीद करके नया कीर्तिमान गढ़ने का काम किया है। प्रदेश सरकार द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार इस साल 1 अप्रैल से 22 अप्रैल तक UP Government ने पिछले साल के मुकाबले चार गुना से अधिक किसानों से गेहूं खरीद की है। इस दौरान कुल 99 हजार 935 किसानों से 52.40 लाख क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। 


जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल आज की तारीख तक सरकार द्वारा किसानों से कुल 12.50 लाख क्विंटल गेंहू खरीदा गया था। सरकार द्वारा खरीदें गए गेंहूं के एवज में 1035 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। 

हर दिन गेहूं खरीद में उत्तर प्रदेश सरकार बना रही नया कीर्तिमान

उत्तर प्रदेश की सरकार की एक अप्रैल से गेहूं खरीद शुरू की है। 12 अप्रैल तक जहां एक लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीद का रिकार्ड टूटा था। वहीं 22 दिनों में सरकार ने 52.40 लाख क्विंटल खरीद कर नया इतिहास बनाने का काम किया है।

किसानों को भुगतान के मामले में वर्तमान सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में 33 लाख, 45 हजार 065 किसानों से कुल 162.71 लाख मी. टन गेहूं की खरीद की। इस दौरान कुल 24,256 क्रय केंद्रों के जरिये खरीदे गए गेहूं के लिए राज्य सरकार ने किसानों को कुल 29,017.71 करोड़ रुपये का रिकार्ड भुगतान किया है।
गौरतलब हो, राज्य सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए तय किया है कि जब तक किसान गेहूं लेकर खरीद केंद्र पर आते रहेंगे तब तक गेहूं खरीद होती रहेगी। 


इसके तहत पिछले में राज्य सरकार ने 33 लाख से ज्यादा गेहूं किसानों की फसल के लिए रिकार्ड 29017.45 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इसके अलावा राज्य सरकार ने बीते चार साल में प्रदेश के धान और गेहूं किसानों को अब तक के सबसे अधिक भुगतान करने का रिकार्ड बनाया है। 

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मंडियों में अत्याधुनिक सुविधाओं का किसानों को मिला फायदा

गेहूं खरीद में क्रांति लाते हुए यूपी सरकार ने मंडियों में न केवल पहली बार अत्याधुनिक सुविधाओं को बढ़ाया है बल्कि किसानों के लिये मंडियों में पानी, बैठने के लिये छायादार व्यवस्था और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के सख्त निर्देश भी दिये हैं। 

किसानों से उनके खेत के 10 किमी के दायरे में खरीदा जा रहा गेहूं

यूपी सरकार की ओर से पहली बार किसानों को उनके खेत के 10 किमी के दायरे में गेहूं खरीदकर उनकी दिक्कतों को भी कम करने का काम किया गया है। पहले किसानों को गेहूं को बेचने के लिये काफी दूर का सफर तय करना पड़ता था।

गेहूं को ले जाने के लिये परिवहन सेवाओं में भी उनका अधिक धन खर्च हो जाता था। इसके अलावा खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए ई-पॉप मशीनों का इस्तेमाल कर क्रांति लाने का काम किया गया है। इस व्यवस्था से गेहूं खरीद में धांधली और गड़बड़ी की आशंका पूरी तरह से समाप्त हुई है और किसानों को उनके अनाज के हर दाने का भुगतान उनके खातों में मिलना शुरू हो गया है।

एफपीओ को गेहूं खरीद का पहली बार दिया तोहफा

इसके अलावा राज्य सरकार ने कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को गेहूं खरीद का खास तोहफा दिया है। वर्तमान में सूबे के 150 से अधिक गेहूं केंद्रों पर एफपीओ खरीद इस प्रक्रिया का हिस्सा बन चुके हैं। कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को गेहूं खरीद में शामिल करने से गेहूं खरीद की प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिला है।

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