पितृ दोष एक तरह का ज्योतिषीय दोष है, जो पितरों (पूर्वजों) के सम्मान न करने के कारण उत्पन्न होता है. ऐसा माना जाता है कि जब पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती हैं, तो वे अपने वंशजों को (Pitra Dosh) कष्ट देती हैं. अगर पितरों का सही श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान नहीं किया जाता है, तो भी व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित हो सकता है.
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ऐसा भी देखा गया है कि घर में बालक के जन्म लेने के कुछ समय पश्चात ही मृत्यु हो जाती है, परिवार में खुशी के अवसर पर वह अतृप्त आत्मा कुछ उम्मीद करती है कि उसे भी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सम्मानित किया जाए, खुशी में शामिल किया जाए, शायद इसीलिए दीपावली त्यौहार के दिन पितरों के लिए सुबह जल कपड़ा आदि निकालकर रखा जाता है, पूजा की जाती है. इसी प्रकार विवाह के अवसर पर पितरों के लिए वर पक्ष के लोग वधू पक्ष से पितरों के लिए कुछ वस्तुओं जैसे सफेद कपड़ा इत्यादि की मांग करते हैं और जहां पर यह रीति रिवाज होते हैं वहां अक्सर दिक्कत नहीं आती है. वहीं, जहां ऐसे रिवाज को नहीं माना जाता वहां अक्सर परेशानी देखी गई है.
Pitra Dosh – सूर्य हमारे पितृ हैं और जब राहु की छाया सूर्य पर पड़ती है तब सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है यानी जब राहु सूर्य के साथ बैठा हो या राहु पंचम भाव में हो, सूर्य राहु के नक्षत्र में हो या पंचम भाव का अप नक्षत्र स्वामी राहु के नक्षत्र में हो तब ऐसी स्थिति में कुंडली के आधार पर पितृ दोष कहा जाता है.