मनरेगा का नाम बदले जाने को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इस पर हो रहे विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. थरूर ने कहा (Tharoor ON MNAREGA controversy) कि नए ‘विकसित भारत-जी राम जी’ बिल में MGNREGA का नाम बदलने पर हो रहा विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है. ग्राम स्वराज की अवधारणा और राम राज्य का आदर्श कभी भी एक-दूसरे के विरोधी नहीं थे. वे गांधीजी की चेतना के जुड़वां स्तंभ थे.
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थरूर ने आगे कहा कि ग्रामीण गरीबों के बारे में महात्मा गांधी का विजन बहुत साफ था. वे उनकी परवाह करते थे. ‘राम’ के प्रति उनकी आस्था थी. उनकी आखिरी सांस में ‘राम’ थे. उनकी विरासत का अपमान न करें. विभाजन की ऐसी रेखा न खींचें जहां कोई रेखा थी ही नहीं. उन्होंने कहा कि पिछले 20 साल से हर कोई इस स्कीम को अलग-अलग भाषाओं में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के नाम से जानता है. अब इसे क्यों बदलना है? आप स्कीम की शर्तें बदल सकते हैं. यह सरकार का अधिकार है लेकिन नाम बदलना जरूरी नहीं है.
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Tharoor ON MNAREGA controversy – वहीं, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) योजना का नाम बदलने का कड़ा विरोध करते हैं. उनके वैचारिक साथियों ने उनके शरीर को मार डाला और आज वे उनके विचार को खत्म करने के लिए उनका नाम मिटा रहे हैं. बापू का नाम मिटाने की चाहत इतनी ज्यादा है कि वे सभी तय नियमों का उल्लंघन करते हुए इस बिल को संसद में जबरदस्ती पास करवा रहे हैं. लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था को अपने संकीर्ण एजेंडे के लिए सिर्फ एक रबर स्टैंप की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.


