चंडीगढ़ : पंजाब में पराली जलाने की वजह से हवा काफी प्रदूषित होती है। लेकिन प्रदेश की भगवंत मान सरकार पराली जलाने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। सरकार की कोशिशें रंग भी ला रही हैं। इस साल पराली जलाने के मामले पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी कम हुए हैं। पिछले साल पराली जलाने के कुल मामले 3114 आए थे, जबकि इस साल इसमे कमी (Stubble Burning) देखने को मिली है और सिर्फ 1764 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। वहीं 2021 की बात करें तो उस वक्त 4327 पराली जलाने के मामले सामने आए थे। ऐसे में हर साल पराली जलाने की घटना में गिरावट देखने को मिल रही है।

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दरअसल भगवंत मान सरकार पराली जलाने की बजाए मशीनों पर सब्सिडी दी जा रही है। किसान इस सब्सिडी का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे ना सिर्फ किसानों को लाभ हो रहा है बल्कि पराली जलाने के मामले भी कम हो रहे हैं।पंजाब सरकार की ओर से किसानों को जागरूक करने का अभियान चलाया गया। जिसमे किसानों को बताया गया कि पराली जलाने से ना सिर्फ किसानों की फसल, खेत, मिट्टी को नुकसान होता है बल्कि सूबे की हवा भी प्रदूषित होती है। जिसका असर पड़ोसी राज्यों पर भी देखने को मिलता है और वहां की भी हवा प्रदूषित होती है।

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 Stubble Burning – बता दें कि गेंहूं और धान की कटाई के बाद बचने वाली पराली को किसान जला देते हैं जिसकी वजह से काफी प्रदूषण होता है। इससे ना सिर्फ आस-पास के इलाके में वायु प्रदूषण होता है बल्कि पास के राज्यों दिल्ली, हरियाणा आदि में भी प्रदूषण होता है। लेकिन सरकार किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए प्रेरित कर रही है और उससे होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक कर रही है।

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