खंडवा : कहते हैं जब हौसले बुलंद हो तो बड़ी से बड़ी परेशानी भी आपकी कामयाबी को रोक नहीं पाती कुछ ऐसा ही देखने को मिला मध्य प्रदेश के खंडवा में जहां एक बेहद गरीब परिवार की (Selected In Indian Navy) बेटी का सिलेक्शन इंडियन नेवी में हुआ है। जी हां  खंडवा जिले के पुनासा तहसील में रहने वाली ग़रीब परिवार की बेटी कावेरी डिमर कभी नर्मदा नदी पर बने इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में पिता का कर्ज उतारने के लिए मछली पकड़ने का काम करती थी। जो अब देश की सेवा करेगी।

Selected In Indian Navy – कावेरी डिमर का चयन खिलाड़ी कोटे से इंडियन नेवी में हो हुआ है। चयन होने के बाद वे अपने माता-पिता से मिलने अपने गांव पहुंची, जहां उसका ग्रामीणों ने स्वागत किया। कावेरी डिमर ने गांव में ही इंदिरा सागर के बेकवाटर से तैराकी सीखकर विदेशी खेल कैनोइंग में महारत हासिल कर ली है।

मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली कावेरी ने 17 साल की उम्र में यह बड़ा मुकाम पाया है। इसके बाद लगातार कावेरी ने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया और उसका चयन खेल स्पर्धा के कोटे से इंडियन नेवी में हो गया है। गौरतलब है कि कावेरी को स्पोर्ट्स अकादमी तक पहुंचाने में सोशल मीडिया का सहयोग रहा। सोशल मीडिया पर नाव चलाते हुए वीडियो वायरल होने के बाद तत्कालीन खेल अधिकारी जोसफ बक्सला कावेरी के गांव पहुंचे थे। उन्होंने पिता रणछोड़ से तीनों बहनों को भोपाल अकादमी में ट्रायल दिलाने के लिए मनाया। ट्रायल में सबसे बेहतर प्रदर्शन कावेरी का होने पर उसे 2016 में मप्र वाटर स्पोर्ट्स अकादमी में दाखिला मिल गया। इसके बाद जीत का कारवां यहीं नहीं थमा।

कावेरी ने एशियन चैंपियनशीप थाइलैंड में ब्रांज मेडल, एशियन गेम चाइना, वर्ल्ड चैंपियनशीप जर्मनी, एशियन चैंपियनशीप एंड ओलंपिक क्वालिफायर जापन, एशियन चैंपियनशीप उज्बेकीस्तान, यू-23 एशियन चैंपियनशीप थाईलैंड में भी हिस्सा लिया। नेशनल चैंपियनशीप में 45 गोल्ड, 6 सिल्वर व 3 ब्रांज मेडल विजयी रही। राष्ट्रीय स्तर पर 36वीं नेशनल गेम गुजरात में सिल्वर, 37वीं नेशनल गेम गोवा व 38वीं नेशनल गेम उत्तराखंड में गोल्ड में मेडल जीता। ओपन नेशनल चैंपियनशीप में 6 गोल्ड व 2 सिल्वर व स्कूल नेशनल चैंपियनशीप में 4 गोल्ड मेडल जीते।

दरअसल तीनों बेटियां पिता के बिछाए जाल से मछलियां बिनती थी। पिता का 40 हजार रुपए का कर्ज उतारने के लिए कावेरी बैकवाटर में नाव चलाने लगी। पिता रात में जाल बिछाते तीनों बहनें सुबह जाकर जाल से मछली निकालती और ठेकेदार को दे आती। ऐसा रोजाना कर उन्होंने पिता का कर्ज उतारने में मदद की। छोटी सी उम्र में न सिर्फ अपने पिता के कर्ज को दूर किया, बल्कि परिवार का पालन पोषण भी किया।

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