हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी में बगावत (Revolt In BJP) रूकती नजर नहीं आ रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के ही गृह जिले बिलासपुर में हालात सामान्य नहीं है। खबर है कि उनकी कोशिशों के बाद भी कई बागी शांत होने के लिए तैयार नहीं हैं। खास बात है कि यह है कि टिकट नहीं मिलने पर मैदान में उतरे नेताओं में नड्डा के कुछ वफादार भी शामिल हैं। राज्य में 12 नवंबर को मतदान होना है।
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बिलासपुर जिले में चार विधानसभा क्षेत्र हैं। फिलहाल, तीन भाजपा और एक सीट कांग्रेस के खाते में है। बीते चुनाव में भाजपा ने बिलासपुर सदर और झनदत्त (एससी) सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार दोनों सीटों पर पार्टी के बागी नेता चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा पार्टी के खाते में घुमारविन सीट भी आई थी। जबकि, कांग्रेस ने श्री नैना देवीजी सीट पर जीत दर्ज की थी।
भाजपा के बागियों में सुभाष शर्मा का नाम भी है। शर्मा निर्दलीय उतर रहे हैं। पार्टी ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के राजनीतिक सलाहकार त्रिलोक जामवाल पर भरोसा जताया है। वहीं, बिलासपुर सदर से भी भाजपा ने मौजूदा विधायक सुभाष ठाकुर का टिकट काट दिया है। इन तीनों ही नेताओं को नड्डा का करीबी माना जाता है।बिलासपुर जिले में बागी हुए एक और भाजपा नेता का नाम राजकुमार कौंदल है। वह झनदत्त सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं। उनके बेटे उत्कर्ष बताते हैं कि भाजपा नेताओं ने उन्हें नामांकन वापस लेने के लिए कहा था, लेकिन उनके समर्थकों ने पिता को चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया। पार्टी ने झनदत्त से मौजूदा विधायक जीतराम कटवाल को टिकट दिया है।
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Revolt In BJP – श्रीनैना देवीजी सीट से भाजपा ने रणधीर शर्मा को मैदान में उतारा है। खास बात है कि पार्टी ने यह पूर्व ट्रेड यूनियन नेता शंखर ठाकुर, कुलदीप ठाकुर और दौलत राम शर्मा के बजाए शर्मा पर भरोसा जताया है। हालांकि, बीते चुनाव में उन्हें कांग्रेस के राम लाल ठाकुर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस की तरफ से ठाकुर इस बार भी मैदान में हैं।भाजपा के बिलासपुर मंडल अध्यक्ष हंसराज ठाकुर कहते हैं कि नड्डा समेत पार्टी ने सुभाष शर्मा को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। उन्होंने यह भी बताया कि बीते चार सालों में शर्मा बिलासपुर सदर नहीं पहुंचे।


