दिल्ली में हुए दंगो ने सिर्फ दिल्ली को ही नहीं बल्कि लगभग पूरे देश को दहला कर रख दिया दिल्ली ने पहली बार हिन्दू मुस्लिम के नाम पर ऐसे दंगो का सामना किया। इसी मुद्दे पर हमारे साथ अपनी राय रखी सुप्रीम कोर्ट के काफ़ी जाने माने अधिवक्ता Rajeev Kumar Ranjan ने जो अपनी स्वतंत्र सोच और स्पष्ट आवाज़ के लिये जाने जाते है और आये दिन देश और देश की जनता से जुड़े मुद्दों पर अपनी स्वतंत्र राय और साथ ही साथ उसके क़ानूनी पक्षों को भी जनता के सामने रखते आय है एक बार फिर राजीव कुमार रंजन ने करंट न्यूज़ से साँझ किये अपने विचार तो आइये जानते है की कैसे देखते है वो राजधानी में हुए इन दंगो को और क्या कहना है उनका इसके पीछे के क़ानूनी पहलुओं पर।
Rajeev Kumar Ranjan Introduction – राजीव कुमार रंजन का पूरा परिचय
राजीव कुमार रंजन न केवल सर्वोच्च न्यायलय (Supreme Court) में अधिवक्ता (Advocate)है बल्कि इसके साथ ही राजीव जी कई अन्य सम्मानिये और उच्च पदों पर आसीन है| राजीव कुमार रंजन इंटरनेशनल ह्यूमन राइट कॉउंसिल के डायरेक्टर है साथ ही वो वर्ल्ड हॉर्मोनी एंड पीस फाउंडेशन के भी डायरेक्टर है इतनी सारी जिम्मेदारियों के बाद भी वो समाज के लिए और भी बहुत कुछ करना चाहते है|
राजीव कुमार रंजन बिहार के हाजीपुर जिले के रहने वाले है वो एक ऐसे परिवार से है जहा शुरू से ही शिक्षा को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया राजीव कुमार रंजन के पिता खुद स्कूल में अध्यापक रहे है और अपने पिता की ही तरह राजीव जी भी शिक्षा को सबसे अमूल्य निधि मानते है इसलिए हाजीपुर से अपनी स्कूली शिक्षा लेकर वो दिल्ली आए ताकि वो उच्च स्तर की शिक्षा से अपना सर्वांगीण विकास कर सकें और देश और समाज में अपने ज्ञान से प्रकाश ला सकें और आज ये कहना बिलकुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगी की उनकी शिक्षा से उन्होंने आज तक कई लोगों को और उनकी ज़िंदगियों को प्रकाशमान किया है।
इसी के साथ राजीव जी कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए है जिनके साथ मिलकर वो समाज कल्याण का कार्य करते रहते है साथ ही वे आर्थिक रूप से कमज़ोर तबकों को भी मुफ्त क़ानूनी मदद भी मुहैया कराते है
दिल्ली दंगों के पीछे का सच बताया राजीव कुमार रंजन ने
अपनी इसी कोशिश में वो करंट न्यूज़ से जुड़े है जहा वो अपने ज्ञान से समाज को सही दिशा दिखने का काम करना चाहते है। दिल्ली दंगों को लेकर लगातार अलग अलग बाते सामने आ रही है इस दौर में जब मीडिया भी दो गुटों में बटा हुआ है ऐसे में एक निष्पक्ष राय का होना बेहद जरुरी हो जाता है और वो हमे दी राजीव कुमार रंजन ने ।
नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद से उसके विरोध को लेकर जो ओछी राजनीति शुरू हुई उसका ही दुखद और भयावह परिणाम दिल्ली के दंगों के रूप में सामने आया। नागरिकता संशोधन कानून, सीएए का किसी भारतीय नागरिक से कोई लेना-देना नहीं। यह नागरिकता देने का कानून है, न कि लेने का, फिर भी विपक्षी दलों और कई तरह के सामाजिक संगठनों की ओर से यह माहौल बनाया गया कि यह भारतीय मुसलमानों के खिलाफ है। इस माहौल को बनाने के लिए जमकर भ्रांतियां फैलाई गईं।
सीएए के खिलाफ दुष्प्रचार ने लोगों के मन में जहर घोलने का किया काम – Rajeev Kumar Ranjan
इसी दुष्प्रचार ने लोगों के मन में जहर घोलने का काम किया और इसी जहर ने दिल्ली में दंगे कराए। ये भीषण दंगे ऐसे समय हुए जब दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दिल्ली में थे और इस कारण दुनिया की निगाहें भारत की ओर थीं। यह साफ समझा जा सकता है कि दंगे कराने का मकसद सीएए का अंतरराष्ट्रीयकरण और भारत को बदनाम करना था।
राजधानी दिल्ली में 4 दिन तक चले सांप्रदायिक दंगो में 47 लोगों ने अपनी जान गवां दी इस दंगे में किसी ने अपना पति खोया तो किसी माँ ने अपना बेटा किसी तो कही किसी के सर से उसके पिता का साया छिन गया, तो कही बूढ़े बाप का एकलौता सहारा उनसे छिन गया।
देश की राजधानी में देखते ही देखते धर्म के नाम पर दंगे शुरू हो गए गलियों में अचानक से दंगाइयों ने आकर मस्जिदों को आग लगाना
शुरू कर दिया।
शाहीन बाग धरने पर बैठी महिलाओं को राजनीतिक दलों और संगठनों का समर्थन प्राप्त है
कहने को यह महिलाओं का धरना है, लेकिन इसे कई राजनीतिक दलों और संगठनों का समर्थन प्राप्त है। सड़क पर कब्जे के बावजूद धरना देने वाले यातायात बाधित करने को जायज बता रहे हैं। यह एक कुतर्क ही है, क्योंकि कोई भी कानून सड़क पर कब्जा करके प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं देता। चूंकि इस धरने से लोग परेशान हो रहे हैं इसलिए उनमें नाराजगी भी है।
जब इसका विरोध हुआ तो तनाव बढ़ा और फिर इसी तनाव ने दंगे का रूप ले लिया। इस दंगे में 40 से अधिक लोग मारे गए और अरबों रुपये की संपत्ति को जलाया गया। जान-माल के इस व्यापक नुकसान के कारण स्वाभाविक तौर पर दिल्ली पुलिस सबके निशाने पर है।
दिल्ली पुलिस से कहा हुई चूक बताया Rajeev Kumar Ranjan ने
सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर पुलिस यह क्यों नहीं भांप सकी कि दिल्ली में हिंसा भड़काने की तैयारी चल रही थी? ये भीषण दंगे यही बता रहे हैं कि हिंसा के लिए अच्छी-खासी तैयारी की गई थी। इस तैयारी की भनक न लग पाना दिल्ली पुलिस की एक बड़ी नाकामी है, लेकिन इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि शाहीन बाग के जिस धरने ने दिल्ली में तनाव बढ़ाया उसे खत्म करने का काम सुप्रीम कोर्ट भी नहीं कर सका।
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सबसे गंभीर समस्या मुस्लिम समाज का सीएए के दुष्प्रचार पर भरोसा करना है
इससे इन्कार नहीं कि भड़काऊ भाषण समस्या बने, लेकिन सबसे गंभीर समस्या तो मुस्लिम समाज का इस दुष्प्रचार पर भरोसा करना है कि सीएए उनके खिलाफ है। दंगों के बाद दिल्ली पुलिस के साथ केंद्र सरकार भी विपक्षी दलों के निशाने पर है।
दंगों में भी दिल्ली के लोगों ने दिखाई अपनी एकता
बर्षो से एक ही गली में रह रहे लोगों को उनके धर्म के कारन उनके घरों से भागना पड़ा। कही पड़ोसियों ने अपने पड़ोसियों को घरों में पनाह दी तो कही मंदिर में छुपकर लोगों ने अपनी जान बचाई इस बिच लगातार दिल्ली में घर जलते रहे लोगों का आशियाना देखते ही देखते खाख़ हो गया।
लगभग सबके दिलों में इस दंगे ने एक दहशत भर दी लोगों को अपने गली मोहल्ले के लोग जो कल तक एक दूसरे के पड़ोंसी थे वो उन्हें दंगाई नज़र आने लगे।
जो घर जले वो तो शायद फिर बन जाए पर इन दंगो में जिनके दिल जले है और जिन्होंने अपने अपनों को खोया है उनका घर अब कैसे रोशन
होगा| खैर, अब माहौल काफ़ी बेहतर है दिल्ली में दंगों की आंधी थम चुकी है राजधानी दिल्ली एक बार फिर अपनी राजनीती में ढलने लगी है संसद का दूसरा सत्र भी शुरू हो चूका है अब सड़क के दंगो की दलीलें संसद में भी गूंजती दिखने लगी है।
बहरहाल, ये कोई पहला ऐसा मामल तो है नहीं देश ने पहले भी ऐसे कई मामलें देखे है और ठीक हर बार की ही तरह मामलें की निष्पक्ष जांच के लिए सरकारी कमिटियां बना दी गई हैं जो कभी न कभी तो अपना फैसला सुना ही देगी।