30 मई, 2019 को यूपीपीएससी (उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन) की एक्ज़ामिनर कंट्रोलर, अंजू लता कटियार को पेपर लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था|
उन पर आरोप था कि उन्होंने कोलकाता के प्रिटिंग प्रेस कंपनी के मालिक कौशिक कुमार के साथ मिलकर एलटी ग्रेड व पीसीएस मेंस के पेपर लीक करवाएं|
सूत्रों के अनुसार जून 2019 में होने वाले पीसीएस मेंस के पेपर बरामद होने के बाद इस परीक्षा को रद्द कर दिया गया है|
पेपर लीक केस की पूरी तहकीकात होने के बाद स्पेशल टास्क फ़ोर्स (एसटीएफ) और चोलापुर पुलिस ने मिलकर अंजू लता कटियार को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया और साथ ही कोलकाता से कौशिक को भी गिरफ्तार कर लिया|
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आनंद कुलकर्णी का बयान
पिंडरा के सीओ अनिल राय के अनुसार दोपहर को पुलिस अंजू को वाराणसी लेकर गयी और बहुत देर तक पूछताछ की| पूछताछ से पर्याप्त सबूत मिलने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया|
उन्होंने कहा, “पूछताछ सत्र के बाद उन्हें मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया और बाद में विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार-विरोधी) के समक्ष पेश किया गया| बाद में उन्हें 14 दिनों की न्यायिक रिमांड पर जिला जेल भेज दिया गया|”
वाराणसी के एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने बयान दिया कि चोलापुर पुलिस की गिरफ़्तारी और पूछताछ के बाद पुलिस के पास पर्याप्त सबूत तो मिल गए थे परन्तु उन्हें पेपर लीक के बारे में और जानकारी की ज़रुरत थी|
अंजू लता और कौशिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसमे उन्हें धारा 406, 409 (विश्वास का आपराधिक उलंघन), 420 (धोखा देना और बेईमानी करना, किसी व्यक्ति से किसी भी व्यक्ति को कोई भी संपत्ति दिलवाने के लिए प्रेरित करना), 120 B (साजिश रचना) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धारा 7, 8 और 13 (लोक सेवक आधिकारिक अधिनियम के संबंध में कानूनी पारिश्रमिक के अलावा घूस प्राप्त करना) पर गिरफ्तार कर लिया गया|
सूत्रों के अनुसार कौशिक ने अपने एक कर्मचारी अशोक को कोलकाता के प्रिंटिंग प्रेस से लीक किये हुए पपेरों को लाने का आदेश दिया|
उसके बाद अशोक 28 जुलाई, 2018 को 5 उम्मीदवारों को अपने साथ एक स्किल डेवलपमेंट क्लास में ले गया जहाँ उन्हें जवाब दिखाए गए और बाद में उन जवाबों को जला दिया गया|
मोबाइल में हुई सारी बातें रिकॉर्ड
यह सब अशोक अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर रहा था और इस रिकॉर्डिंग को उसने पुलिस को सौंप दिया था जिसके बिनाह पर कौशिक को गिरफ्तार कर लिया गया|
गिरफ़्तारी के बाद कौशिक ने पुलिस को बयान दिया कि वह अपनी कमाई का 5 प्रतिशत अंजू लता को देता था, ताकि वह उसे पेपर को लीक करने के लिए ग्राहक लाकर दे| उसने अपने बयान में यह भी शामिल किया कि वाराणसी में पेपर लाने से पहले वह अंजू को ₹10 लाख दे चुका था|
कौशिक और अंजू के बयानों को दर्ज करने के बाद पुलिस अब उन्हें विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार-विरोधी) के समक्ष पेश करेंगे और तब तक वह पुलिस कस्टडी में ही रहेंगे|
आखिर में बच्चो का भविष्य तबाह करने वाले मुजरिम कानून कि पकड़ में आ गए है और आशा है की आगे ऐसे भ्रष्ट लोगों के कारण देश का भविष्य अँधेरे में नहीं जायेगा|
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