Kisan protest continued- 11वें दौर की वार्ता भी बेकार:
तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की गारंटी की जिद के कारण शुक्रवार को किसान संगठनों के साथ 11वें दौर की वार्ता भी न सिर्फ बेकार गई बल्कि आगे की बातचीत का रास्ता भी बंद हो गया। पिछले 10 दौर की वार्ता के विपरीत इसमें अगले दौर की वार्ता की कोई तारीख भी तय नहीं हुई। डेढ़ साल तक तीनों कृषि कानूनों के अमल पर स्थगन और उस बीच हल निकालने की कोशिशों के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया तो सरकार ने भी अपना रुख कड़ा करते हुए साफ कर | दिया कि इससे अच्छा प्रस्ताव नहीं |दिया जा सकता। सरकार फिर बैठक के लिए तैयार है अगर किसान संगठन ने प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हों|
तीनों केंद्रीय मंत्री विज्ञान भवन में अलग कमरे में उनका इंतजार करते रहे। लेकिन किसान प्रतिनिधियों के बीच आमराय नहीं बन पाई। सरकार किसानों से प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने को कहा है जिस पर किसान शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिनिधि शनिवार को अपना निर्णय सरकार को बता सकते हैं। वार्ता में किसान प्रतिनिधियों ने धमकी दी साथ रेल, वाणिज्य व खाद्य मंत्री कि अब वे अपनी ट्रैक्टर रैलो की | पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री तैयारियों में शूटिंग और आंदोलन को तोग करेंगे |
समिति की अध्यक्षता कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कर रहे थे । उनके सोमप्रकाश बैठक में हिस्सा ले रहे थे। जबकि किसान संगठनों की ओर से 41 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह | बैठक भले ही करीब पांच घंटे तक चली. लेकिन दोनों पक्ष आमने-सामने 20-25 मिनट ही बैठे। शुरुआत में ही किसान नेताओं ने सरकार को सूचित कर दिया कि उन्होंने पिछले दौर की वार्ता में दिए गए सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने का फैसला किया है। कृषि मंत्री समेत तीनों केंद्रीय मंत्रियों ने किसान प्रतिनिधियों से अपने रुख पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया जिसके बाद दोनों पक्ष लंच ब्रेक के लिए चले गए। तीन घंटे से भी ज्यादा समय तक चले इस ब्रेक में किसान नेताओं ने अपने लंगर का खाना खाया ।
इस दौरान किसान प्रतिनिधियों को छोटे छोटे समूहों में आपस में बातचीत करते देखा गया, जबकि बता दें कि 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने आंदोलनकारी किसान संगठनों के समक्ष तीनों नए कानूनों को साल डेढ़ साल तक स्थगित कर संयुक्त कमेटी के गठन का प्रस्ताव रखा था। कमेटी में दोनों पक्षों के लोगों का समूह इसका अध्ययन कर किसी समाधान पर पहुंच सकता है। इस बारे में सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी शपथ पत्र दिया जा सकता है। लेकिन वार्ता में हिस्सा लेने आए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने किसान संयुक्त मोर्चा के फैसले को जस का तस दोहरा दिया कि हमें यह मंजूर नहीं। किसान संगठनों के साथ 14 अक्टूबर से अब तक कुल 11 दौर की वार्ता में 45 घंटे तक चचा हुई हैं। एक दौर की वार्ता अधिकारियों के साथ हुई थी।
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