JNU बवाल के एक साल पूरे, नतीजे का इंतज़ार:
जेएनयू बवाल में दिल्ली पुलिस ने ना तो अब तक किसी की गिरफ्तारी की है ना ही चार्जशीट दाखिल की है जांच पूरी तरीके से बंद है,
उधर अपराध शाखा के अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 में जेएनयू बंद हो गया था इस कारण जांच बिल्कुल ठप हो गई थी चर्चा है कि दिल्ली पुलिस बिना गिरफ्तारी के आरोप पत्र अदालत में दाखिल करेगी.
कैंपस में हिंसा की रिपोर्ट वसंत कुंज नॉर्थ थाने में दर्ज हुई थी पहली रिपोर्ट कैंपस में 3 जनवरी को सर्वर रूम तोड़ने की थी कुल 3 एफ आई आर दर्ज हुई थी बवाल के कुछ दिन बाद जांच थाना पुलिस से लेकर अपराध शाखा को सौंप दी गई थी.
शाखा ने भारी-भरकम टीम के साथ जांच शुरू की 100 से ज्यादा विद्यार्थियों सिक्योरिटी गार्ड व शिक्षकों से पूछताछ कर पूछताछ कर बयान दर्ज किए गए शुरू में पुलिस को सी टीवी कैमरों की फुटेज नहीं मिली थी बाद में जेएनयू में बैंक के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज मिली इनसे कुछ नकाबपोश की पहचान हुई बवाल से पहले कुछ व्हाट्सएप ग्रुप बने थे इनसे भी कुछ गवाहों और आरोपियों की पहचान हुई थी अपराध शाखा ने जेएनयू में कार्यालय बना लिया था तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष आईसी घोष ने 9 छात्रों को पहचाना था उन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा गया था
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JNU बवाल: वायरल वीडियो में दिखी युवती से पूछताछ नहीं कैंपस में हमला करने वाली एक युवती का वीडियो वायरल हुआ था इसमें उसके चेहरे पर कपड़ा था और हाथ में डंडा पुलिस ने अब तक इस युवती से पूछताछ नहीं की युवती को उसके व्हाट्सएप नंबर पर पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया था.
11 से ज्यादा वीडियो होने के बावजूद पुलिस के हाथ खाली जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में हिंसा का मंगलवार को 1 साल हो रहा है अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन और दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा आरोपियों का कोई सुराग नहीं लगा पाए हैं.
31 दिसंबर 2019 को नई हॉस्टल गाइडलाइन और फीस बढ़ोतरी के विरोध में सर्वर रूम से शुरू हुई तोड़फोड़ और मारपीट 5 जनवरी 2020 को पेरियार हॉस्टल के अंदर और बाहर विद्यार्थियों विद्यार्थियों व शिक्षकों से मारपीट पर जा पहुंचे,
इस मामले में वामपंथी विद्यार्थियों व शिक्षकों ने जेएनयू प्रशासन पर मिलीभगत के आरोप लगाते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को मारपीट व तोड़फोड़ में शामिल बताया कि 11 से अधिक वीडियो होने के बाद भी नकाबपोश कौन थे अब तक पता नहीं चल पाया है जेएनयू केंपस यू तो हमेशा सुर्खियों में रहता है लेकिन ऐसी घटना इतिहास में पहले कभी नहीं हुई थी छात्र संगठनों के दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप 1 साल बाद भी नहीं थमा है.