मानव के लिए जो पृथ्वी वरदान है, उस पृथ्वी को ही मानव ने अपने भोग विलास के कारण नर्क में तब्दील करना शुरू कर दिया है। हज़ारों कोशिशों के बाद भी मनुष्य के रहने लायक कोई अन्य ग्रह अंतरिक्ष में नहीं मिला है। लेकिन अगर मिल भी तो जाए तो मनुष्य उसे भी पृथ्वी जैसा बना देगा, जहाँ 99% लोगों को साफ हवा नहीं मिल पाएगी।
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हर साल असमय हो रही करीब एक लाख लोगों की मौत
भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के एक बड़े हिस्से में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। प्रदूषण के कारण लोगों को कई तरह की बीमारियों से पीड़ित होना पड़ता है। खासकर अगर हम ओजोन प्रदूषण की बात करें तो यह दिन प्रति दिन काफी गंभीर होता जा रहा है। हालांकि यह खतरा तो पूरे दुनिया के लिए है लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव भारत पर हो रहा है।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर के आंकड़ों की मानें तो ओजोन प्रदूषण से भारत में हर साल 168,000 लोगों की असमय मौत हो रही है। ये दुनिया में ओजोन से मौतों का 46 फीसदी हिस्सा है। भारत के बाद दूसरे नंबर पर चीन है, जहां सालाना 93 हज़ार से अधिक मौतें ओजोन प्रदूषण के कारण हो रही है।
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क्या है ओजोन प्रदूषण?
ओजोन एक गैस की परत होती है जो सूरज से आने वाली हानिकारक UV किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है। यह गैस हल्के नीले रंग की होती है। पृथ्वी पर इंसानों और समुद्री जानवरों के जीवन के लिए ओजोन परत का होना बेहद जरूरी है। ये पृथ्वी के वायुमंडल में धरातल से 10 किमी से 50 किमी की ऊंचाई के बीच में पाई जाती है।
अब अगर यह ओजोन जमीन पर आ जाए तो खतरनाक हो जाती है और प्रदूषण का कारण बनती है। ओजोन प्रदूषण तब होता है जब वायुमंडल में ओजोन की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। तब ये ओजोन प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है।
बता दें, ओज़ोन प्रदूषण से सबसे अधिक फेफड़ों संबंधित बीमारियां होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन वायु प्रदूषण को लेकर दुनिया को कई बार आगाह कर चुका है। अनुमान है कि दुनिया की 99% आबादी खराब हवा में सांस लेने के लिए मजबूर है। इस कारण हर साल करीब 70 लाख लोगों की जान जा रही है।