मायावती और अखिलेश हुए अलग| लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद बहुजन समाज पार्टी की लीडर मायावती ने समाजवादी पार्टी के लीडर अखिलेश यादव के साथ तोड़ा महागठबंधन| उनका कहना है कि अखिलेश यादव को इस चुनाव में उनके पुराने मतदाताओं ने भी अपना मत नहीं दिया है|
बहन जी मायावती के अनुसार अभी बीएसपी को स्वयं ही कार्यरत रहना चाहिए और एसपी से सहायता नहीं लेनी चाहिए| उनका कहना है कि यह गठबंधन टुटा तो है परन्तु उनका रिश्ता आगे भी कायम रहेगा|
मायावती और अखिलेश का गठबंधन टूटने के कई कारण हो सकतें हैं, जैसे:-
लोकसभा चुनाव में करारी हार
जनवरी में जब अखिलेश यादव और मायावती ने अपना गठबंधन घोषित किया था तब यह दोनों पार्टी जातिवाद राजनीती पर निर्भर थे| परन्तु वे इस बात से अज्ञात थे की श्री नरेंद्र मोदी का तब जनता से काफी अच्छा रिश्ता बन चुका था| जिसके कारण यादव और जाटव दोनों जातियां बीजेपी के समर्थन में चली गयी थी|
नयी पीढ़ी की नयी सोच
दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि अब यूपी की नयी पीढ़ी जातिवाद राजनीती से बहुत आगे निकल चुकी है| वहां के युवा जातियों के आधार पर सरकार नहीं चुन रहे हैं बल्कि वे अपने देश व अपने भविष्य को ध्यान में रखकर अपनी सरकार चुन रहे है|
यादव-जाटव-जाट का रिश्ता जमा नहीं
तीसरा कारण यह भी था कि तीनो जातियों को इस गठबंधन से ज़्यादा ख़ुशी नहीं हुई थी| इस गठबंधन के बाद कई ऐसे किस्से हुए जिससे तीनो जातियों को अपने समर्थन पर शक होने लगा था| एक रैली के दौरान जब अखिलेश यादव और उनकी बीवी डिंपल यादव ने मायावती के पांव छुए थे और मायावती ने यही यह इज़्ज़त एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव को अदा नहीं की थी तब एसपी के समर्थक अखिलेश यादव से काफी नाराज थे|
इन कुछ कारणों को मद्दे नज़र रखते हुए मायावती ने अखिलेश यादव को अपने पार्टी के समर्थक बढ़ाने तो दूर एक समान रखने में भी असमर्थ बताया और साथ ही यह भी कहा कि जब अखिलेश यादव अपने समर्थक बचाने में समर्थ हो जायेंगे तब वह इस गठबंधन के बारे में दोबारा सोच सकती हैं|
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