गाजियाबाद नगर निगम बोर्ड की बैठक में मंगलवार (9 जनवरी) को गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव पास हुआ है। लगभग 284 साल से मुगल शासन के वजीर गाजीउद्दीन की याद दिलाने वाले इस जिले का नाम अब बदला जाएगा।
गाजियाबाद नगर निगम बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव पारित होते ही पार्षदों ने खड़े होकर तालियां बजाईं। बीजेपी के कईं नेता लम्बे समय से गाजियाबाद का नाम बदलने की मांग कर रहे थे। गाजियाबाद नगर निगम की बैठक में नाम बदलने का प्रस्ताव पास होते ही सदन में जय श्री राम, वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे गूंजने लगे।
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नगर निगम बोर्ड में यह प्रस्ताव पारित होने के बाद अब यह प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। इस पर अंतिम निर्णय अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लेंगें। गाजियाबाद की महापौर सुनीता दयाल ने मंगलवार को बताया कि गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव पार्षदों द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित किया गया और अब इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भेजा जाएगा।
क्या होगा गाजियाबाद का नया नाम?
मेयर सुनीता दयाल ने मंगलवार को बताया कि शहर के नामों के विकल्प के रूप में हरनंदी नगर, गज प्रस्थ और दूधेश्वरनाथ नगर पर विचार किया जा रहा है। नया नाम योगी जी के निर्णय के अनुसार रखा जाएगा। साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक सुनील शर्मा ने कहा कि पिछले साल उन्होंने राज्य विधानसभा में इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें गाजियाबाद का नाम बदलकर गजप्रस्थ करने का सुझाव दिया गया था।
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पिछले कुछ दिनों से हिंदू संगठनों की ओर से गाजियाबाद जिले के नाम बदलने की मांग की जा रही है। गाजियाबाद नगर निगम की बैठक में पहली बार इस मुद्दे पर चर्चा हुई भाजपा पार्षद संजय सिंह ने मीटिंग में इस प्रस्ताव को पेश किया था। इसको लेकर मेयर सुनीता दयाल का कहना है कि कई लोगों ने जिले के नाम बदलने की अपील की है। लेकिन अब पहली बार इस प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा हुई।
प्राचीन मंदिर दूधेश्वर नाथ के प्रधान पुजारी महंत नारायण गिरि ने बताया कि पिछले साल उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की थी और गाजियाबाद के लिए तीन नाम गजप्रस्थ, दूधेश्वरनाथ नगर या हरनंदीनगर के सुझाव दिए थे। उन्होंने कहा कि ये नाम महाभारत के इतिहास से संबंधित हैं क्योंकि यह क्षेत्र हस्तिनापुर का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि यह एक घना जंगल था जहां हाथी रहा करते थे।