अजमेर :राजस्थान में बीमा कम्पनी और उपभोक्ता के विवाद (Consumer Disputes) के चलते कोर्ट ने आदेश दिया है कि उसे बीमा की सारी रकम बिना किसी कटौती के तत्काल अदा की जाये परिवादी भागचंद जाट ने रोनाल्ट डस्टर वाहन मैग्मा फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड से फाइनेंस करवा कर मैसर्स भारती ए एक्स ए जनरल इंश्योरेंस कंपनी से बीमा करवाया था ।15 दिसम्बर 2015 को परिवादी का वाहन केकड़ी से सरवाड़ की ओर जाते समय, गाय के सामने आ जाने के चक्कर में, असंतुलित होकर पेड़ से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया था । जिसकी सूचना परिवादी ने कंपनी के टोल फ्री नंबर पर दे दी थी । जिसके पश्चात बीमा कंपनी द्वारा दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे करवाया गया । परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन 16 दिसम्बर 2015 को रोनाल्ट डस्टर कंपनी के अधिकृत वर्कशॉप निर्मल कार प्राइवेट लिमिटेड के यहां ठीक करने हेतु सुपुर्द किया था । परिवादी ने बीमा कंपनी द्वारा बताए गए वाहन के टोटल लॉस क्लेम संबंधी समस्त औपचारिकताएं समय पर पूर्ण कर दी थी तथा बीमा कंपनी के सर्वेयर द्वारा भी दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे कर दिया गया था।
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Consumer Disputes – बीमा कंपनी ने अपने पत्र दिनांक 26 सितम्बर 2016 के द्वारा बीमा क्लेम देने से इस आधार पर इंकार कर दिया कि परिवादी के वाहन की दुर्घटना 15 दिसम्बर 2015 को ना होकर 10 दिसम्बर 2015 या इससे पूर्व हुई है और परिवादी का वाहन दिनांक 14 दिसम्बर 2015 को रजिस्टर्ड हुआ है । जिस कारण वक्त दुर्घटना परिवादी के वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण बीमा कंपनी का कोई दायित्व नहीं बनता है । परिवादी के अधिवक्ता संदीप कुमार अग्रवाल ने निर्मल कार प्राइवेट लिमिटेड के सिक्योरिटी कंट्रोल रजिस्टर की प्रति, वाहन का रिपेयर आर्डर की प्रति, आर. रो. एस्टीमेट की प्रति, सर्वेयर द्वारा किए गए सर्वे रिपोर्ट की प्रति आदि दस्तावेज प्रस्तुत कर माननीय आयोग को बताया कि सिक्योरिटी कंट्रोल रजिस्टर में दिनांक 16 दिसम्बर 2015 अंकित है तथा परिवादी का वाहन भी दिनांक 16 दिसम्बर 2015 को 11:20 पर ठीक होने हेतु निर्मल कार प्राइवेट लिमिटेड में क्रेन के जरिए लाकर खड़ा किया गया है ।
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इस पर बीमा कंपनी के अधिवक्ता का कहना था कि उक्त दिनांक में काट छांट है तथा 10 दिसम्बर 2015 को 16 दिसम्बर 2015 बनाया गया है । जिस पर परिवादी के अधिवक्ता का तर्क था कि सिक्योरिटी कंट्रोल रजिस्टर में जो तारीख अंकित है वह 16 दिसम्बर 2015 ही है, क्योंकि परिवादी के वाहन के पश्चात अन्य वाहन भी ठीक होने हेतु खड़े हुए थे तथा सिक्योरिटी कंट्रोलर में 16 दिसम्बर 2015 के बाद 17दिसम्बर 2015 की दिनांक अंकित है । तथा सीरियल नम्बर मे कोई कांट छांट भी नहीं है । जिससे जाहिर होता है कि उक्त दिनांक में कांट छांट बदनियतिपूर्ण नियत से नहीं की गई है । इसके अलावा परिवादी के अधिवक्ता ने निर्मल कार प्राइवेट लिमिटेड का आर.रो. एसटीमेट, रिपेयर आर्डर, आर.रो. इनवॉइस आदि की प्रतियां भी प्रस्तुत की गई है । इसमें भी दिनांक 16 दिसम्बर 2015 और समय 12:15:01 अंकित है जिनमें कोई कांट छांट नहीं है ।
माननीय आयोग का मानना रहा कि बीमा कंपनी एवं परिवादी के मध्य वाहन का बीमा होने, बीमा प्रीमियम देने व प्राप्त करने तथा वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने के संबंध में कोई विवाद नहीं है । परंतु परिवादी के अनुसार दुर्घटना 15 दिसम्बर 2015 को होना तथा बीमा कंपनी के द्वारा दुर्घटना 10 दिसम्बर 2015 को होना विवादित प्रश्न है ? माननीय आयोग के अध्यक्ष श्री रमेश कुमार शर्मा एवं सदस्य श्री दिनेश चतुर्वेदी ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि, यदि दिनांक में परिवादी की ओर से हेरफेर की गई है तो उन वाहनों के स्वामी व निर्मल कार प्राइवेट लिमिटेड से दस्तावेज प्राप्त कर बीमा कंपनी, परिवादी की साक्ष्य का खंडन कर सकती थी , जो कि उसके द्वारा नहीं किया गया है । दुर्घटना15 दिसम्बर 2015 के स्थान पर 10 दिसम्बर 2015 को हुई इस तथ्य को साबित करने का भार भी बीमा कंपनी पर था, जो वह करने में असफल रही है ।
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अतः माननीय आयोग के अध्यक्ष श्री रमेश कुमार शर्मा व सदस्य दिनेश चतुर्वेदी ने अपने आदेश में माना है कि बीमा कंपनी के कथन एवं दस्तावेजों में दिनांक 15 दिसम्बर 2015 को परिवाद में वर्णित वाहन के संबंध में दुर्घटना होने व उसे 16 दिसम्बर 2015 को निर्मल कार प्राइवेट लिमिटेड में लाने के स्पष्ट कथनों की पुष्टि परिवादी ने अपने दस्तावेजों से की है तथा परिवादी ने अपने सबूत के भार को सिद्ध कर दिया है। अतः जब दुर्घटना दिनांक 15 दिसम्बर 2015 को घटित हुई है और उक्त वाहन का पंजीयन 14 दिसम्बर 2015 को हो चुका है तो बीमा कंपनी परिवादी को क्षति पूर्ति राशि अदा करने हेतु जिम्मेदार है । माननीय आयोग ने समग्र विवेचन करके परिवादी को उसके वाहन के टोटल लॉस पेटे राशि 13,91,807/- रूपये तथा मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे 25,000/- रूपये एवं परिवाद व्यय पेटे 5,000/- रूपये की राशि देने का आदेश बीमा कंपनी दिया है । इसप्रकरण में परिवादी की ओर से पैरवी अधिवक्ता संदीप कुमार अग्रवाल , एडवोकट राजीव जैन , एडवोकेट मनोज बैरवा एवं एडवोकेट भावना नेहलानी ने की ।