नई दिल्ली : संसद में दिल्ली सेवा विधेयक पास होने के बाद दिल्ली सरकार (Consent Of LG) में प्रशासनिक फैसलों को लेकर बड़ा बदलाव नजर आएगा। दिल्ली की चुनी हुई सरकार को फैसले लेने का अधिकार तो होगा, लेकिन उन पर उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी। अधिकारियों के तबादले से लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई पर सिविल सर्विसेज प्राधिकरण फैसला करेगा।वहीं विधानसभा सत्र बुलाने के लिए भी एलजी की मंजूरी लेनी होगी।
इसे भी पढ़ें – आतिशी को मिला सेवाओं और सतर्कता विभागों का अतिरिक्त प्रभार, मुख्यमंत्री ने LG को भेजी फाइल
Consent Of LG – दिल्ली सरकार के अधिकारियों की तैनाती से लेकर तबादले और उन पर सतर्कता जांच एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई का फैसला राष्ट्रीय राजधानी सिविल सर्विसेज प्राधिकरण (एनसीसीएसए) करेगा। तीन सदस्यों वाली इस समिति के चेयरमैन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल होंगे और। दो अन्य मुख्य सचिव और प्रधान सचिव, गृह विभाग होंगे। फैसला वोटिंग के आधार पर होगा। मुख्यमंत्री का मत अगर अधिकारियों से अलग होता है तो बहुमत के आधार पर अधिकारियों का फैसला ही मान्य होगा। इसी तरह अब दिल्ली महिला आयोग जैसे आयोगों और बोर्ड में नियुक्ति भी अब इसी प्राधिकरण के जरिए होगी।
इसे भी पढ़ें – टाइम पर काम खत्म करो वर्ना कार्रवाई के लिए तैयार रहो – आतिशी
सरकार के मंत्री का कोई फैसला अगर सचिव को नियमानुसार नहीं लगता है तो वह आपत्ति जताकर उस बारे में मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री और एलजी को रिपोर्ट भेज सकते हैं या उस फाइल को रोक सकते हैं। इसी तरह नए फैसले के बाद दिल्ली विधानसभा सत्र बुलाने के लिए भी अब एलजी से मंजूरी लेनी होगी। सरकार को अपने सभी फैसले के लिए एलजी से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।दिल्ली सरकार की ताकत की तुलना जब हम दूसरे पूर्ण राज्यों की सरकार से करेंगे तो हमेशा दुविधा पैदा होगी। दिल्ली की सत्ता में चुनकर आने वाले लोगों को समझना होगा कि दिल्ली केंद्र शासित राज्य
है। यहां भारत के राष्ट्रपति का प्रशासन चलता है उनकी तरफ से एलजी काम करता है।