Budget 2021-22: इन दिनों देश के करोड़ों लोगों की निगाहें एक फरवरी 2021 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले वर्ष 2021-22 के आम बजट की ओर लगी हुई हैं। कोविड-19 की वजह से अप्रत्याशित रूप से बढ़ी हुई आर्थिक चुनौतियों के बीच एक ऐसे बजट की उम्मीद की जा रही है जिससे जहां आर्थिक सुस्ती का मुकाबला किया जा सके, वहीं विभिन्न वर्गों की मुश्किलों को कम किया जा सके। इसके लिए केंद्र सरकार वर्ष 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटे का नया खाका पेश कर सकती है, जिसमें राजकोषीय घाटे को 2025-26 तक घटाकर सकल घरेलू उत्पाद के 4 फीसदी पर लाने की रणनीति रखी जा सकती है।
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गौरतलब है कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के मद्देनजर राजकोषीय घाटे को 2022-23 तक 3.1 प्रतिशत पर समेटने का लक्ष्य रखा था। लेकिन कोविड-19 के कारण चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत के बजट अनुमान से ज्यादा रह सकता है। इसलिए आगामी दो वर्षों में 3.1 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है। कोरोना महामारी के कारण जीडीपी में संकुचन और राजस्व संग्रह तथा व्यय के बीच बढ़ते हुए अंतर के कारण राजकोषीय खाके में बदलाव करते हुए आगामी पांच वर्षों में करीब 4 प्रतिशत का लक्ष्य रखा जाना व्यावहारिक हो सकता है। अब आगामी एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का आगामी बजट अर्थव्यवस्था के संकुचन वाले दौर से गुजरने के बीच पेश किया जाने वाला है।
यदि हम सकुचन के बीच पेश किए जाने वाले पिछले आम बजटों की ओर देखें तो पाते हैं कि आजादी के बाद विभिन्न आर्थिक चुनौतियों के कारण जिन तीन वर्षों में बजट 2021 BUDGET ₹ उम्मीदें संकुचन की पृष्ठभूमि में पेश हुए हैं, वे वर्ष हैं 1966-67, 1973-74 तथा 1980-81. इन तीनों वर्षों के बजट के पहले के वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रमशः 3.7 प्रतिशत, 0.3 प्रतिशत और 5.2 प्रतिशत तक संकुचित हुई थी। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था के 7.7 प्रतिशत का संकुचन अब तक का सबसे बड़ा संकुचन है।
ऐसे में अब तक संकुचन के बाद पेश हुए बजटों में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के जिस तरह भारी प्रोत्साहन दिए गए थे, अब इस बार कोविड-19 के बाद संकुचित अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए और अधिक भारी प्रोत्साहन आगामी वित्त वर्ष के बजट में जरूरी दिखाई दे रहे हैं।
Budget 2021-22: ऐसे में नए वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट के तहत सरकार के द्वारा कोविड-19 की चुनौतियों के बीच राजकोषीय घाटे की चिंता न करते हुए विकास की डगर पर आगे बढ़ने के प्रावधान सुनिश्चित किए जा सकते हैं। वित्तमंत्री प्रमुखतया खेती और किसानों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दे सकती हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि के लिए अतिरिक्त धन आवंटित कर सकती हैं। सरकार ऐसे नए उद्यमों को प्रोत्साहन दे सकती है, जिनसे कृषि उत्पादों को लाभदायक कीमत दिलाने में मदद करने के साथ उपभोक्ताओं को ये उत्पाद मुनासिब दाम पर पहुंचाने में मदद करें।
वित्तमंत्री के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के उपायों के साथ साथ कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विकास के माध्यम से बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने वाले कामों को प्रोत्साहन दिया जा सकता है। गौरतलब है कि कोरोना काल में एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के कोलैट्रल फ्री लोन, स्ट्रेस्ड एमएसएमई के लिए 20000 करोड़ रुपए और अच्छी रेटिंग वाले एमएसएमई के लिए 50000 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
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