Budget 2021: केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए आर्थिक सर्वे 2020-21 में अगले साल अच्छी इकोनॉमिक ग्रोथ रहने की उम्मीद जताई गई है। आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वित्तवर्ष 2020-21 में जीडीपी माइनस 7.7 फीसदी रह सकती है। वहीं अगले वित्तवर्ष यानी 2021 22 में ये आंकड़ा डबल डिजिट ग्रोथ के साथ 11 फीसदी के करीब रह सकता है। आर्थिक सर्वे में लॉकडाउन को बेहद कामयाब बताया गया है। ये भी कहा गया है कि इसके चलते बड़ी आर्थिक और मानवीय क्षति को बचाया गया है। साथ ही सरकार की तरफ से जारी टीकाकरण अभियान के चलते आने वाले महीनों में तकरीबन सभी क्षेत्रों में तेजी से सुधारका अनुमान भी व्यक्त किया गया है। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकारकेवी सुब्रमण्यम के मुताबिक इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि निवेश बढ़ाने वाले कदमों पर जोर रहेगा। ब्याज दर कम होने से कारोबारी गतिविधियां बढ़ेंगी। इसमें बताया गया कि कोरोना वैक्सीन से महामारी पर काबू पाना संभव है। सर्वे में बताया गया है कि देश में कोरोना के चलते पैदा हुई परिस्थितियों के चलते अर्थव्यवस्था की रफ्तार बिगड़ी है लेकिन इसमें तेजी से सुधार देखने को मिल रहा है।

आजीविका बचाने पर होगा जोर
आगामी 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में जीवन और आजीविका बचाने पर जोर दिया जा सकता है। इसके संकेत शुक्रवार को पेश किए गए आर्थिक समीक्षा 2020-21 से मिले हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वित्त मंत्री बजट में आम आदमी को रोजगार मुहैया कराने समेत हाथ में अधिक पैसा पहुंचाने के लिए कर कटौती समेत कई रियायतों की घोषणा कर सकती हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में कहा गया भारत ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सख्त लॉकडाउन लागू किया था, जिसका उसे आज फायदा मिल रहा है। आर्थिक समीक्षा 2020-21 का एक निष्कर्ष है कि देश ने महामारी के दौरान जीडीपी (आर्थिक उत्पाद) की जगह मानव जीवन की रक्षा को अधिक महत्व दिया।
Budget 2021: आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि महामारी शुरू होने के साथ ही भारत ने इसके प्रसार को रोकने को उपाय किए थे, जो यह दर्शाता है कि वह दीर्घावधि के लाभ के लिए थोड़े समय का दर्द झेलने को तैयार है। समीक्षा दस्तावेज में कहा गया है कि वैश्विक महामारी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा था। लेकिन आज देश वी- आकार का सुधार देख रहा है। इसे विनिमय दर की स्थिरता, चालू खाते की संतोषजनक स्थिति, विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन को लेकर सकारात्मक संकेतों से बल मिल रहा है। समीक्षा में कहा गया है कि अस्थायी आर्थिक अंकुशों की कीमत भारत ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अस्थायी गिरावट से चुकाई। इससे पता चलता है कि भारत ने मानव जीवन जीडीपी से अधिक मूल्यवान माना।

क्रेडिट रेटिंग पर भरोसा नहीं
भारत की अच्छी सॉवरेन रेटिंग देने में हमेश ही क्रेडिट रेटिंग एजेसियां पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाती है आर्थिक समीक्षा में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। इस सर्वे में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि क्रेडिट रेटिंग भारत की इकोनॉमी की बुनियादी स्थिति को नहीं देखती हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार सॉवरेन रेटिंग एजेंसी ने विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को इंवेस्टमेंट के लिए माइनस बीबीबी रेटिंग दी है। यह उनके पक्षपातपूर्ण रवैये को दर्शाता है। समीक्षा में कहा गया है कि सोवरेन क्रेडिट रेटिंग इक्विटी और विकासशील देशों में कर्ज एफपीआई प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं।

बुनियादी ढांचे के लिए 111 लाख करोड़
Budget 2021: केंद्र सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में बुनियादी ढांचे में भारी निवेश के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए रोडमैप पेश किया है। विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पांच सालों में 111 लाख करोड़ खर्च किए जाएंगे। इस धन से रेल, रोड, नागरिक उड्डयन, बंदरगाह आदि क्षेत्र की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया जाएगा।
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राजकोषीय घाटा लक्ष्य के पार जाएगा: आर्थिक समीक्षा के अनुसार, कोरोना के कारण इस बार राजकोषीय घाटा पहले से तय लक्ष्य के पार जाएगा। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ यानी | जीडीपी का 3.5% रहने का अनुमान रखा गया था।

चीन को जुगाड़ से पीछे नहीं कर सकते:
आर्थिक समीक्षा में साफ कहा गया है कि हम चीन को जुगाड़ से पीछे नहीं कर सकते हैं। हमें अपने आरएंडी पर बजट बढ़ाना होगा।
देश को कोरोना में कृषि ने संभाला : आर्थि समीक्षा के अनुसार, भारतीय कृषि क्षेत्र ने कोविड-19 महामारी के बावजूद 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को ऊपर पहुंचाया है। इसके साथ यह भी कहा गया है कि अब जीडीपी में कृषि जाएगी। उद्योग वृद्धि दर -9.6% और सेवा वृद्धि दर -8.8% रहेगी।
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